कोरोना ने एक और पत्रकार की जीन ले ली है । पत्रकार विपिन देव त्यागी पिछले करीब दो दशक से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय रहे । विपिन देव त्यागी कोरोना संक्रमित थे और तीन दिन पहले उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था । लेकिन डॉक्टर्स उन्हें बचा नहीं सके ।विपिन देव त्यागी एक मिलनसार और हंसमुख इंसान थे । बेहद शालीन और अपनी बात को बेबाकी से रहने वाले विपिन को न्यूज़ रूम में लोग दादा कहकर संबोधित करते थे । सही को सही और गलत को गलत कहने में विश्वास रखने वाले विपिन जी के निधन से हर कोई स्तब्ध है । विपिन देव त्यागी के निधन से मीडिया जगत में शोक की लहर है । सोशल मीडिया पर विपिन जी को उनको चाहने वालों ने कुछ यूं याद किया ।
राजीव कमल
भगवान…तुमने एक नहीं दो भक्त खो दिये हैं…आज के बाद कभी तुम्हारी पूजा नहीं करूंगा…कभी तुम्हारी चौखट पर नही आऊंगा…तुम्हारा नाम भी नहीं लूंगा। इससे बड़ा दुख तुम दे भी क्या सकते हो? तुमने आज सब छीन लिया। भाई जैसा दोस्त छीन लिया। हर सुख-दुख का साथी छीन लिया। कोई बात नहीं अन्ना। हम जल्द मिलेंगे। यहां नहीं तो वहां मिलेंगे…आप बहुत अच्छे थे अन्ना Vipin Dev Tyagi
राधे कृष्ण
यकीन नहीं हो रहा है कि अपना दोस्त Vipin Dev Tyagi अब इस दुनिया में नहीं रहा… निःशब्द हूं… विनम्र श्रद्धांजलि…चार दिन पहले मुझे फोन किया था… मेरा हाल-चाल पूछा था… लेकिन अपने बारे में कुछ नहीं बताया था… अगर जरा सा भी बताया होता तो मैं तुम्हें बचाने के लिए हर संभव कोशिश करता… लेकिन तुमने मौका ही नहीं दिया… विपिन, मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूंगा…
कुलदीप श्रीवास्तव
Vipin Dev Tyagi दादा दो हफ्ते पहले फिल्म सिटी में मुझसे मिलने आए और कहा कि यार तुम्हारी भाभी कह रही कि अब अपना घर होना चाहिए तो कुलदीप तुम देखो अपनी तरफ़। एक घर लेना है, अपना आशियाना होगा। ये क्या दादा? ये आपने ठीक नहीं किया। बहुत याद आएंगे आप। बहुत सी यादें हैं आपकी जो हमेशा साथ रहेंगी। बाकी क्या कहूं? भगवान पर हर बार भरोसा मजबूत करता हूं, हर बार भरोसा टूटता सा दिखता है। हे ईश्वर कहाँ हो? हो तो अब रहम करो।
अरुण यादव
भगवान तुम कितना निष्ठुर हो गए हो। हमारे अजीज दोस्त को भी छीन लिया। Vipin Dev Tyagi भाई से कुछ दिन पहले जब मुलाकात हुई तो हम लोगों ने खूब बातें की। संकट की घड़ी में आप हमेशा दूसरों का साथ देते और लोगों में नई ऊर्जा का संचार करते। लेकिन ये क्या आज आप हम सभी को अकेला छोड़ गए।
महेंद्र यादव
मेरे आधे तेवर तो आप ही थे |
आप मुझे बाबा और मैं आपको बाबा कहते थे |
आप मुझसे कहते थे – आप मीडिया छोड़कर चले गए , आपने अच्छा किया लेकिन आपकी जरुरत इधर भी थी |
मैंने तो सिर्फ मीडिया छोड़ी थी पर आप हमें छोड़कर चले गए | मैं आपको कैसे नमन करुं |
सुरेश गंगवार
अब मुझे प्रधानजी कौन कहेगा । भाई 20 साल का साथ ऐसे ही छोड़ दिया । जो हर हौसला देता था ।