साजिद अशरफ
पीएम मोदी का दावा है कि, बिहार में एक हफ्ते में 8 लाख 50 हजार से ज्यादा शौचालय बनाए गए। अगर ये सच है तो मान लीजिये कि विकास पैदा हो चुका है , क्योंकि एक हफ्ते में 8 लाख 50 हजार से ज्यादा टॉयलेट बनने का मतलब है- हर दिन 1,21,428 टॉयलेट बनाए गए, मतलब 5059 टॉयलेट प्रति घंटे बनाए गए , मतलब 84 टॉयलेट प्रति मिनट बनाए गए , मतलब प्रति सेकंड 1.4 टॉयलेट बनाए गए।
असल में सारा सवाल ही इन्हीं आंकड़ों की वजह से है , क्योंकि विकास की भी अपनी एक रफ़्तार होती है , और इस रफ़्तार का आंकलन आपके पिछले रिकार्ड के आधार पर ही होता है। मोदी सरकार का पिछला रिकॉर्ड कहता है कि 1 अप्रैल साल 2017 से 28 मार्च 2018 तक बिहार में कुल 24 लाख 9 हज़ार 370 टॉयलेट का निर्माण किया गया। मतलब हर महीने 2 लाख 781 टॉयलेट बनाए गए , मतलब हर हफ्ते 46851 टॉयलेट ,मतलब हर दिन 6693 टॉयलेट , मतलब हर घंटे 279 टॉयलेट , मतलब हर मिनट 5 टॉयलेट , मतलब हर सेकंड 0 .07 टॉयलेट का निर्माण हुआ।
ये आंकड़े ज़्यादा पुराने भी नहीं हैं , इसी महीने 5 अप्रैल 2018 को लोकसभा में केंद्र सरकार के पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय में राज्य मंत्री रमेश चंडप्पा जिगजिनगी ने ये आंकड़े दिए हैं। अगर इस मंत्रालय के आंकड़े सही हैं तो सवाल वाजिब है कि आखिर कुछ दिन पहले तक जहां बिहार में एक महीने में 2 लाख 781 टॉयलेट का निर्माण ही हो पा रहा था, वो अचानक एक हफ्ते में 8 लाख 50 हजार टॉयलेट निर्माण के आंकड़े को कैसे छू गया।
पीएम क्या पहले की तरह ही स्लिप ऑफ टंग का शिकार हो गए। क्योंकि इसी साल 4 फरवरी को बेंगलुरु रैली में मोदी ने कर्नाटक के 7 लाख गांवों में बिजली ना होने का जिक्र किया था, जबकि पूरे देशभर में सिर्फ 6,40,867 गांव हैं, जहां बिजली नहीं पहुंची है। कहीं बिहार में टॉयलेट निर्माण वाला ये आंकड़ा भी ऐसी ही किसी गफलत का शिकार तो नहीं है।
(फेसबुक पर की गई टिप्पणी)
साजिद अशरफ। बिहार के खगड़िया जिले के ग्रामीण इलाकों से दिल्ली तक का सफ़र। दिल्ली के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल। न्यूज़ को अपने रिसर्च के जरिए मायनीखेज बनाने के लिए सतत प्रयासशील। इन दिनों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय।