शिरीष खरे
‘द कश्मीर फाइल्स’ कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फिल्म है, पलायन के मुद्दे पर ही जिन्हें ज्यादा जानने की चाहत हैं, वे पूरे देश के पलायन और विस्थापन की हकीकत भी जानें, और अलग-अलग सिरों से जानें, व्यापक परिदृश्य में देखें, जहां सालों से विकास के बुलडोजर ने न सिर्फ कोरकू, गोंड, तिरमली, सैय्यद मदारी, दलित और पारधी जैसे वंचित समुदायों के आशियानों को उनकी जड़ सहित उखाड़ फेंका है, बल्कि मेलघाट की पहाड़ियों से लेकर मुंबई के रेडलाइट एरिया कमाठीपुरा की सेक्सवर्करों, और सूरत जैसे शहरों की झोपड़पट्टियों में रहने वाले लोगों से लेकर नर्मदा किनारे के बाशिंदों को एक नहीं बल्कि बार-बार उजाड़ा है। नतीजा यह कि देश भर में बड़े पैमाने पर पलायन और विस्थापन हुआ है, जिसकी संख्या कई गुना अधिक है, फिर भी ये सिलसिला जो बदसूरत जारी है, यह सिलसिला कब और कहां जाकर थमेगा?
सवाल है कि पिछले कुछ दशकों में उजाड़े गए ये लोग, ये आम भारतीय हैं कहां, किस हालत में हैं। आंकड़ों के विशाल ढेर में इनके चेहरे कैसे दिखते हैं, इनकी सच्ची कहानियां क्या कहती हैं?
कश्मीर तो हमने सुना है कई-कई बार, पर वंचित समुदायों से जुड़े लोगों के नाम और पते-ठिकाने कभी हमने सुने हैं? सच्चाई तो यह है कि हमारे सामने सिर्फ एक कश्मीर नहीं है, हमारे पास देश के भीतर से कई सारे कश्मीर और उनकी कई सारी और भी फाइल्स हैं, जिन्हें हमने उपेक्षित और अनदेखा कर रखा है, जिनकी करीब दर्जन भर फाइल्स ‘एक देश बारह दुनिया’ किताब में ही हैं, जैसे कि:
- द मेलघाट फाइल्स
- द कमाठीपुरा फाइल्स
- द कनाडी बुडरुक फाइल्स
- द आष्टी फाइल्स
- द मस्सा फाइल्स
- द महादेव बस्ती फाइल्स
- द संगम टेकरी फाइल्स
- द बरमान फाइल्स
- द बायतु फाइल्स
- द बस्तर फाइल्स
- द मदकूद्वीप फाइल्स
- द अछोटी फाइल्स