शिरीष खरे शिरीष खरे की बतौर पत्रकार यात्रा की ये चौथी किस्त है। मेलघाट में उन्होंने महसूस किया कि भूख
Tag: मीडिया और गांव
मेलघाट में भूख से मरते बच्चे और 90 के दशक का सन्नाटा
शिरीष खरे शिरीष खरे की बतौर पत्रकार यात्रा की ये तीसरी किस्त है। मेलघाट से लौटते हुए ट्रेन में उनकी
पत्रकार के लिए हत्या की धमकी ही सबसे बड़ी चुनौती नहीं होती
शिरीष खरे ट्रेन की सामान्य गति से मुंबई की ओर लौटते हुए मेलघाट में जो घटा उसके बारे में सोच
पत्रकारिता की हड़बड़ी और मेरा दृष्टिदोष
शिरीष खरे कुछ बनने की जल्दी में हुआ दृष्टि-दोष, फिर एक दिन अचानक एक घटना से कि जाना निकट की चीजें दूर या दूर