धीरेंद्र पुंडीर ये जीत का जश्न फीका है, ये हार का स्वाद मीठा है। ये गुजरात की उलटबांसी है। सिर्फ
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‘आनंद का दिन’ और ‘नैतिक जीत’ का निहितार्थ
शशि शेखर (फेसबुक वॉल से साभार) ‘जो जीता वही सिकंदर’ और ‘हारे को हरिनाम’। ये दो ऐसी कहावते हैं, जिन्हें
पीएम साहब! जानबूझकर शल्य को सारथी मत बनाइए न
सुदीप्ति महाभारत मेरी रुचि का विषय है इसलिए जब एक भाषण में माननीय प्रधानमंत्री ने ‘शल्य’ का नाम लिया और
कांग्रेस मुक्त भारत का थका नारा और गुजरात के सबक
राकेश कायस्थ जिस दौर में चोर को चाणक्य और तड़ीपार को तारनहार का समानार्थी मान लिया गया है। उसी दौर
खाये पिये कुछ नहीं, गिलास फोड़े बारह आना
राकेश कायस्थ अक्टूबर 2015 की बात है। बिहार के चुनावी तमाशे के बीच अचानक एक एमएमएस सामने आया। औघड़ सरीखे
सूबे में 15 साल, केंद्र में 3 साल… अब ‘सुकमा अटैक’ क्यों?
अमरेंद्र गौरव ”सीआरपीएफ जवानों की बहादुरी पर हमें गर्व है और उनकी शहादत बेकार नहीं जाएगी”। सुकमा में बड़े नक्सली अटैक
ये डर ग़लत साबित कर पाएंगे योगीजी?
प्रिय आदित्यनाथ योगी जी , मेरा नाम विनोद कापड़ी है। अच्छा लगता है, इसलिए थोड़ी बहुत पत्रकारिता करता हूँ और
‘मुलायम’ दांव से दिलचस्प हुआ यूपी का ‘दंगल’
धीरेंद्र पुंडीर चुनाव की टेबल पर तमाम दल लेटे हुए हैं, जनता ऑपरेशन में जुटी हुई है। कैची हाथ में
सियासी फलक पर उम्मीदों और सवालों से घिरी ‘मोदी की बीजेपी’
रामजी तिवारी भारतीय जनता पार्टी के बारे में लिखना अपेक्षाकृत कठिन होता है। कारण यह कि इस पार्टी के बारे
बटन दबते ही धड़कन तेज़ !
रवि किशोर श्रीवास्तव कतार घट चुकी थी, एकआध लोग ही बचे थे। पोलिंग बूथ के अधिकारी और कर्मचारी रवानगी की