दयाशंकर मिश्र सबसे महत्व की चीज़ों को हम अक्सर आसानी से भुला देते हैं. ऐसे ही जीवन के दो तत्व
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बाल मन को पानी की तरह तरल रहने दें
दयाशंकर मिश्र दूसरों से भागना-बचना फिर भी सरल है, लेकिन जब हम अपनी दृष्टि से भागना शुरू कर देते हैं,
मनुष्य सज़ा से नहीं प्रेम से बदलते हैं…. और हमारी दुनिया भी!
हमारे प्रेम से रिश्ते इतने जर्जर हो गए हैं कि थोड़ा-सा धक्का लगते ही टूट जाते हैं. बदलने के लिए
जीते जी हाल पूछोगे… प्यार करोगे… तो अफसोस न रहेगा!
दयाशंकर मिश्र आभार या खेद के फूल! हम जीवन के प्रति अपने चुनाव में इतने अस्पष्ट और द्वंद्व से भरे
ढिंढोरा पीटने की आदत बदल डालें
दयाशंकर मिश्र हम पूरी ऊर्जा लगा देते हैं यह बताने में कि किसके लिए अब तक क्या-क्या किया! कर्तव्य का
मन की गांठें खोल रे मनुआ… पढ़ ले ‘जीवन संवाद
मोहन जोशी अमूमन ये देखने में आता है कि रचनाकार अपने लेखक होने के गुमान को ओढ़े रहता है और
जीवन संवाद- देश को ‘हज़ार-हज़ार दयाशंकर’ चाहिए
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार जीवन संवाद। दयाशंकर मिश्र की पुस्तक। 5 जनवरी, 2020 की शाम इस पुस्तक