शिरीष खरे “देश भर के गांवों में ऐसा स्कूल मिलना मुश्किल है।”– यह दावा है मादलमुठी शाला (सांगली, महाराष्ट्र) के
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महाराष्ट्र के सांगली की प्राथमिक शाला की अपनी वेबसाइट
शिरीष खरे किसी एक छोटे गांव की प्राथमिक शाला की अपनी वेबसाइट होना विशेष भले ही न लगे, लेकिन क्या
बहू अंजलि ग्रेजुएट हो गई!
मिथिलेश कुमार राय सवेरे जब मैं काम पर निकल रहा था, माँ बोली कि मिठाई लेते आना। कल शुक्रवार है।
2 अक्टूबर से मुजफ्फरपुर में पहली बदलाव पाठशाला
आगामी गांधी जयंती- 2 अक्तूबर- को हम एक नया मिशन शुरू करने जा रहे हैं। समाज के ” उपेक्षित लेकिन
भितिहरवा गांव, जिसने याद रखा कस्तूरबा का ‘ककहरा’
पुष्यमित्र लोगों ने इस स्कूल को जिंदा रखने के लिए तीन-तीन बार अलग-अलग जगह जमीन दान की। गोरों ने स्कूल
पढ़ाई के लिए ऐसी लड़ाई! जय बीना, जय हिंद!
रूपेश कुमार बीना को इसलिए उसके ससुरालवालों ने घर से निकाल दिया कि वह पढ़ना चाहती थी, लेकिन उसने हिम्मत