धीरेंद्र पुंडीर “हर बार जब भी मेरा बेटा अपनी मां के लिए रोता है, मैं सहन नहीं कर पाता हूं। और मैं उसके बिना अकेला महसूस करता हूं।
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कितने अजीब रिश्ते हैं यहां पे !
हंसा कोरंगा ‘तेरे दिल में मेरी सांसों को पनाह मिल जाए…तेरे इश्क में मेरी जान फना हो जाए… ‘ क्या आज
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है…
रिषीकांत सिंह चार दिन पहले की बात है। रात में सोने की तैयारी कर रहा था। अचानक ऊपर वाले फ्लैट