अभिषेक राज दिल में आता है एक गिलहरी पाल लूं ऑफिस से आते जाते ही सही मैं उसका हाल लूं
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कबीर की परंपरा के कवि नागार्जुन
ब्रह्मानंद ठाकुर अक्खड़पन और खड़ी-खड़ी कहने की परम्परा में बाबा नागार्जुन कबीर के काफी करीब पड़ते हैं। किसी को बुरा
मां जैसा कोई डांटता नहीं
रुपेश कुमार मां जैसा कोई डांटता नहीं मां जैसा कोई मनाता भी नहीं ! सबसे छुपा कर जतन से बचा
बचपन की मुस्कान
डॉक्टर प्रीता प्रिया बचपन के दिन बिताए हैं मैंने सूरज की किरणों की डोली पर चंदा के पलने पर मैंने
कांपता हृदय और पिता
रुपेश कुमार जब देखता हूं ढीली होती पेशियां पिता की बहुत कांपता है हृदय ! सुबह जब कभी लेटते हैं
बेटियों की चीख और तड़प
वो चीख रही थी और मैं सोच रहा था ये चीख किस मजहब की है वो दर्द से तड़प रही
श्रम से निखरता सौंदर्य
डॉ. भावना बलुई के ढलान से बोझा लिए जब भी गुज़रती है वह काली लड़की तो लोग उसे चिढ़ाते हैं
अप्रैल माह के अतिथि संपादक होंगे संजय पंकज
जाने – माने साहित्यकार , कवि और लेखक डाक्टर संजय पंकज होंगे बदलाव के अप्रैल के अतिथि सम्पादक। मुजफ्फरपुर जिले
“पेड़ों की छांव तले रचना पाठ” की 40वीं साहित्य गोष्ठी सम्पन्न
बदलाव प्रतिनिधि 28 जनवरी’ 2018, रविवार, वैशाली,गाजियाबाद। “68वें गणतन्त्र दिवस के अवसर पर देश भक्ति व सामाजिक सौहार्द ” पर
काव्य फूलों की तरल मुस्कान से पट गई पूर्णिया की धरती
शंभु कुशाग्र नववर्ष 2018 की पूर्व संध्या पर पुराने साल को विदाई देने और नए साल के स्वागत में पूर्णिया