सत्येंद्र कुमार यादव गांव से लेकर शहर तक उन लोगों को जानता हूं जो छोटे-छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए
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कर्जदार हम भी, कर्जदार तुम भी… बस किस्मत जुदा-जुदा है!
धीरेंद्र पुंडीर दस साल का बच्चा था। गांव में जाना था। एक जीप कॉपरेटिव डिपार्टमेंट की थी। उसमें बैठा हुआ
छत्तीसगढ़ के ‘होरी’ की व्यथा कथा कौन सुनेगा?
दिवाकर मुक्तिबोध लालसाय पुहूप। आदिवासी किसान। उम्र करीब 33 वर्ष। पिता – शिवप्रसाद पुहूप। स्थायी निवास – प्रेमनगर विकासखंड स्थित