प्रशांत पांडेय ज़िंदगी की आपा धापी में प्राथमिकताएँ बदल जाती हैं। मनुष्य समय के चक्र में फँसकर उसी के इशारे
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बदलाव के दूसरे होली मिलन में बच्चों ने बिखेरे रंग
ब्रह्मानंद ठाकुर बदलाव का होली मिलन समारोह इस बार बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में आयोजित हुआ । मुजफ्फरपुर के पीयर
मन फागुन-फागुन हो गया
संजय पंकज मंजरियों की गंध लगी तो मन फागुन फागुन हो गया! प्रेमिल सुधियाँ अंग लगी तो
अंग-अंग में बोल गया फागुन
संजय पंकज बोल गया फागुन अंग अंग में जाने कैसा रस घोल गया फागुन ! रंग नयन में गंध सांस
नाचे तन-मन, नाचे जीवन
हिलता-खिलता-मिलता-जुलता आया होली का त्यौहार। नाचे तन-मन, नाचे जीवन नाचे आंगन, नाचे उपवन रंग-बिरंगी ओढ़ चदरिया धरती लाई नई बहार।
नाचे, गाएं, खेलें होली… जोगीरा सा रा रा
बासु मित्र पिछले एक दशक से मेरे गांव में भी होली की चमक फीकी सी हो गयी थी। रोजी-रोटी के