सहारा नहीं, खुद के भरोसे चलते हैं बांदा के देवराज

आशीष सागर कहते हैं लाठी बुढ़ापे का सहारा होती है लेकिन अगर जवानी के शुरुआती पलों में थामनी पड़े तो

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