अवधेश कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से साभार “होली के त्यौहार में, कालिख असली रोय।। उस तन काला ना चढ़े
Tag: पेड़ों की छांव तले रचना पाठ
लगता है इंसानियत का खेत बंजर हो गया
बदलाव प्रतिनिधि, ग़ाज़ियाबाद 26 अगस्त ’ 2018, रविवार, वैशाली,गाजियाबाद। “प्रेम सौहार्द भाई चारे” पर गीतों , कविताओं और गजलों से परिपूर्ण “पेड़ों की छांव तले रचना पाठ” की 47वीं साहित्य गोष्ठी वैशाली
पेड़ों की छांव तले रचना पाठ की 45वीं गोष्ठी सम्पन्न
“जीवन की सार्थकता” विषय पर गीतों , कविताओं और गजलों से परिपूर्ण “पेड़ों की छांव तले रचना पाठ” की