पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से कबीर बादल प्रेम का, हम पर बरसाई।अंतरी भीगी आत्मा, हरी भरी बनराई।। पापा ने
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हे हरि, हे पापा… बादलों से यूं ही बरसाते रहना प्रेम
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से जाकी रही भावना जैसीप्रभु मूरत देखी तिन तैसी हर किसी ने अपने हरि को
कर्म ही पूजा है, की मिसाल रहे पापा
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से पिता ने मोह माया का वृहत संसार रचा और खुद निर्मोही रहे। गृहस्थ जीवन
ब्रह्मलीन पिता का शब्दों के जरिये साक्षात्कार
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पातकहे रहीम का घटयौ, जो भृगु मारे लात!पापा
बंसी कौल की स्मृति में रंग-दस्तक
राकेश मालवीय स्मृतियां जब दस्तक देती हैं तो आपको हंसाती हैं, रुलाती हैं, गुदगुदाती हैं, कुछ जोड़ती हैं, कुछ घटाती
अपने गुरु से नाता जोड़, कहां गए मेरे गुरु हमको छोड़
पशुपति शर्माबंसी दा ने अपने गुरु नेमिचंद्र जैन की स्मृति में एक नाटक का ताना-बाना बुना- ‘साक्षात्कार अधूरा है’। नाटक
अपनी उदासियों पर लगा लेना एक मास्क!
कोरोना काल- 6 अपनी उदासियोंपर लगा लेनाएक मास्क! जो तुम्हारेशुभचिंतक हैंवो कर लेंगेउदासियों का हिसाब! तीन लेयर वाले मास्कके भीतर
‘ठेले’ से ‘ठेके’ तक उनके ‘ठेंगे’ पर है कोरोना!
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार कोरोना काल- एक वो मौत हथेलियों परलेकर निकले हैंअपनों को मौत बांटने नहींअपनों
‘साक्षात्कार अधूरा है’- गुरु से गुरु तक की यात्रा
पशुपति शर्मा बंसी दा के साथ काम करने का अपना अनुभव है। रचना-कर्म के दौरान एक आत्मीय रिश्ता रहता है
फूल और पत्तियां
पशुपति शर्मा/ आज फूल कर रहे थे बातें गुलाब, अपने रूप पर इतरा रहा था गेंदा, अपने गुणों का बखान