राकेश कायस्थ हिंसा, हाहाकार और बनारस में लड़कियों की पिटाई की ख़बरों से मन बहुत अशांत था। नज़र टेबल पर
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विकास की अंधी दौड़ में दम तोड़ता गांव
ब्रह्मानंद ठाकुर हमारा गांव आधुनिकता की अंधी दौड़ में बुरी तरह हांफ रहा है। जो परम्पराएं, रीति-रिवाज, भाईचारा और मानवीय
रोपिया तो हो गईल लेकिन अब पानी नइखे
सत्येंद्र कुमार यादव माता-पिता के पास मैं रोजाना फोन करता हूं। लेकिन जिस दिन साप्ताहिक छुट्टी रहती है उस दिन
नदियां सूखे… सूखे रे धारा… इनको बहना होगा
पुष्यमित्र देश में बिहार की पहचान उसकी जलसंपदाओं की वजह से है। दक्षिण बिहार की नदियां भले गरमियों में सूख
नए साल पर एक ट्रिप जलपुरुष के गांव की
संजय तिवारी 8 जनवरी की सुबह मैं अपने दोस्त के साथ अलवर से तकरीबन 1 घंटे की दूरी तय कर
ये फ़िक्र बे’कार’ नहीं, बेकार है सियासी ‘चिल्ल-पों’
सैयद जैग़म मुर्तज़ा भाई दिल्ली में बे-कार रहने वाले हम जैसे लोग तो ख़ुश हैं। पिछले पांच साल में चंद