शिरीष खरे जब पहली यात्रा समाप्त होने की कगार पर होती है तो मेरे भीतर दूसरी यात्रा तेजी से आगे
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‘बाहुबली नहीं लाखबली बांध कहिये’
पुष्यमित्र जब मेन स्ट्रीम मीडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर सरदार सरोवर डैम को तोहफे के तौर पर
‘क्षिप्रा’ और ‘नर्मदा’… नदियों के ‘जबरिया मिलन’ की अंतर्कथा
शिरीष खरे इंदौर जिले का उज्जैनी गांव 29 नवंबर, 2012 को एक ऐतिहासिक फैसले का गवाह बना था। ये वही