बदलाव प्रतिनिधि, मुजफ्फरपुर दुष्यन्त कुमार समकालीन हिन्दी कविता के एक ऐसे सशक्त हस्ताक्षर हैं,जिन्होंने हिन्दी गज़ल को नया आयाम दिया। उर्दू
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दुष्यंत के शहर में, दुष्यंत की तासीर अभी बाक़ी है !
राजेश बादल एक सितंबर को दुष्यंत कुमार संग्रहालय में सबने दिल की गहराइयों से दुष्यंत को याद किया। रात देर
हिंदी गजल के कोहिनूर दुष्यंत कुमार
डा. सुधांशु कुमार ‘मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूं/वो गजल आपको सुनाता हूं ।’ ओढ़ने बिछाने की शैली एवं सरल सपाट