पुष्यमित्रबिहार के गांव में रहने वाले सभी लोगों से हाथ जोड़ कर प्रार्थना करता हूं कि कृपया इस भीषण वक़्त
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शहर छोड़ गांव में खुशहाली की फसल उगा रहे अश्विनी शर्मा
विमलेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार, जयपुर अच्छी नौकरी और शहर में आलीशान बंगला..आज हर युवा की यही चाहता रहती है, लेकिन
‘हिंगोश’ का दिलचस्प किस्सा
ये बात अक्सर कही जाती है, आवश्यकता आविष्कार की जननी है। जैसे ये लकड़ी है। यूँ तो यह किसी पेड़
भुजइन के भार के बहाने किस्सा गांव का
रज़िया अंसारी गांव के लहलहाते हरे भरे खेत, खेतों में सरसों के पीले-पीले फूल, कुएं पर पानी भरती गांव की
गांवों में विकास की धीमी रफ्तार और नौकरशाही का ढुलमुल रवैया
शिरीष खरे भारतीय प्रशासन का वर्तमान ढांचा ब्रिटिश शासकों से विरासत में मिला है। इसी ढांचे के नीचे गांव का विकास
गांव की माटी की महक
श्वेता जया के फेसबुक वॉल से साभार क्या आपने गाँव को करीब से देखा है? खपरैल के घर, फूस की
ऊर्दू की तालीम हासिल करने की ललक
कुमार नरेंद्र सिंह यह बिहार के जिला भोजपुर के संदेश थाना के सिरकीचक गांव की मस्जिद है, जिसका निर्माण 1798
मई महीने में बदलाव पर ‘आदर्श गांव पर आपकी रपट’
टीम बदलाव सांसद आदर्श ग्राम इस योजना का नाम तो आप ने भी सुना होगा । चार साल पहले देश
क्या जंगलों में आदिवासियों का होना अच्छे पर्यावरण का प्रतीक नहीं?
शिरीष खरे शिरीष खरे की बतौर पत्रकार यात्रा की ये पांचवीं किस्त है। मेलघाट का अनदेखा सच पाठकों तक शिरीष
चुनावी साल में चलो गांव के विकास का शोर तो है!
बब्बन सिंह मित्रो, हम एक सामान्य व्यक्ति हैं जो संयोग से पत्रकारिता के पेशे में हैं, जैसे आप किसी और