संदीप नाईक मध्यप्रदेश का एक पैरवी समूह जो विकास, कुपोषण , शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर गत 15 वर्षों
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मीडिया को फिर से पत्रकारिता बनाने की लड़ाई कलम के नाम उधार है
ब्रह्मानंद ठाकुर अपने देश के मीडिया जगत में इन दिनों जो घटनाएं घट रही हैं, वह आकस्मिक नहीं कही जा
अतिवादों के दौर में गांधी की चर्चा और विनय का स्मरण
अखिलेश्वर पांडेय 24 जून 2018 को कोलकाता स्थित भारतीय भाषा परिषद के सभागार में विनय तरुण स्मृति समारोह-2018 का आयोजन
चंपारण सत्याग्रह के सौ बरस- गांधी के संकल्प का एक और पाठ
पशुपति शर्मा कोलकाता में विनय तरुण स्मृति कार्यक्रम हो रहा है। कार्यक्रम के दूसरे सत्र ‘अपनी हांडी अपनी आंच’ सत्र
अतिवादों के दौर का जनक है पूजीवादी अर्थतंत्र-ब्रह्मानंद ठाकुर
ब्रह्मानंद ठाकुर विनय तरुण स्मृति व्याख्यान 2018 का विषय है- अतिवादों के दौर में पत्रकारिता और गांधीवाद। मैं यह स्पष्ट कर
अतिवादों के दौर में पत्रकारिता और गांधीवाद
मोनिका अग्रवाल जब हम किसी से पूछे कि वर्तमान में हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता का काल कैसा है ? शायद
आंदोलनों में हिंसा तो होती है, चौरी-चौरा वाला दम नहीं दिखता
अमित ओझा 5 फरवरी 1922 गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा देश अब अंगड़ाई लेने लगा था।अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ बापू
गांधी और अंबेडकर के बीच की कड़ी थे लोहिया
डॉक्टर भावना आजादी के सात दशक बाद भी हिंदुस्तान में जाति, धर्म की सियासत हो रही है। जिन नेताओं पर
दांडी बंगला और डाक बंगले का फ़र्क मिटने को है!
धीरेंद्र पुंडीर “नाम क्या है इसका।” एक वीरान से पड़े बंगले के अंदर खड़े होकर मैंने बंगले में बैठे उस
पारदर्शी कैबिनेट में गांधी का चरखा और समय का चक्र
धीरेंद्र पुंडीर “ अगर हमने गांधी को विश्व की शांति के लिए एक मसीहा के रूप में जन-मन तक स्थिर