पशुपति शर्मा बर्फ़ीली वादियों में तुम्हारा रक्त भी तो जम जाना था वो जम न सका तो कसूर तुम्हारा है
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मधुर-मधुर मेरे दीपक जल…
महादेवी वर्मा मधुर-मधुर मेरे दीपक जल। युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल, प्रियतम का पथ आलोकित कर।। सौरभ फैला विपुल धूप बन,
युद्ध के विरुद्ध
सचिन कुमार जैन युद्ध ऐसी भूख है जो जिन्दा को खाती है इंसान हो, जानवर हो नदी हो, या बर्फ
अंधे बिल में फंस गया हूं…
पेरुमल मोरुगन की अंग्रेजी में पढ़ी एक कविता का हिन्दी अनुवाद देविंदर कौर उप्पल ने किया है। यह कविता अपने
भोर अलग है, शोर अलग है…
नीलू अग्रवाल आज स्वतंत्रता दिवस की भोर अलग है हो रहा जो गलियों में शोर अलग है ग़रीबी, घोटाले, भ्रष्टाचार
चंद्रशेखर आज़ाद का तमंचा और मूछें
आज चंद्रशेखर आजाद का जन्मदिन है। इस क्रांतिकारी की पहचान रही मूंछों और तमंचे पर देवांशु झा ने एक कविता
ज़िंदगी का शॉर्टकट
एक जीवन और हज़ारों ख़्वाहिशें एक चाहत और हज़ार बंदिशें एक ईश्वर और हज़ार फरियाद एक राह और हज़ार मुश्किलात
… क्योंकि वह मेरी मां है!
माँ माँ यानि सिर्फ एक शब्द नहीं होता एक संस्कृति होती है एक संस्कार होता है एक परंपरा और एक
रोटियां उनकी थाली में कम, भूखे क्यों तुम ?
जब, तुम खोद रहे होते हो खाई अपने और उनके बीच सिर पर टोकरा लिए वो बना रहे होते हैं
आजाद ज़िंदगी की जंग
मनोज कुमार आजाद ज़िंदगी पाने की जंग अब भी बाकी है उम्मीद रोशनी की लौ अब भी जलाना बाकी है