आज से करीब 30-35 साल पहले की बात है । मैं एक स्कूल में बतौर शिक्षक कार्यरत था । घर
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हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना… रे कबीरा, न बदला जमाना
श्वेता जया पांडे अगर आप कबीर को एक महान शख्सियत बताते हैं और उनकी महान ज़िंदगी से कुछ सीखने की
पूरे शंख और पुष्प की आभा से कवि केदारनाथ को प्रणाम
यतीन्द्र मिश्र एक शानदार कविता ने जैसे अपना शिखर पा लिया हो। कथ्य की आभा से छिटककर तारे की द्युति सी
सरकार, रोजी-रोटी का जरिया बने हिंदी
ब्रह्मानंद ठाकुर आज हिन्दी दिवस है। राजभाषा हिन्दी के विकास के बड़े-बड़े दावे और वादे किए जा रहे हैं। बाबजूद इसके
साइनबोर्ड की ग़लतियां सुधारने वाला हिंदी का पहला सेवक
ब्रह्मानंद ठाकुर यह गौरव मुजफ्फरपुर को हासिल है, जहां अयोध्या प्रसाद खत्री ने भारतेन्दु युग (1850-1900) में हिन्दी साहित्य में
आखिर एक पत्रकार किस्से कहानियाँ क्यों लिखने लगा?
पुष्यमित्र विश्व पुस्तक मेले की शुरुआत हो चुकी है, पहली दफा मेरी कोई किताब बिकने के लिये किसी बुक स्टॉल
‘सूखे’ की खूंटी पर टंगा ‘साहित्य’
दिवाकर मुक्तिबोध ‘श्रेय’ की राजनीति में निपट गया रायपुर साहित्य महोत्सव। कुछ तारीखें भुलाए नहीं भूलती। याद रहती हैं, किन्हीं