पुष्यमित्र अभी जिस ट्रेन से देहरादून से लौट रहा था, वह ट्रेन हावड़ा तक जाती है। जाहिर सी बात है,
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कश्मीर और संघ के वैचारिक परिप्रेक्ष्य को समझिए
दिवाकर मुक्तिबोध 5 अगस्त 2019 को भारतीय जनता पार्टी सरकैर ने संवैधानिक प्रक्रियाओं को धता बताते हुए जम्मू और कश्मीर
दम तोड़ता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ
वीरेन नंदा/ वर्तमान समय में लोकतंत्र का चौथा खंभा पूरी तरह जमींदोज नजर आ रहा है। एक वह समय था
सत्ता जानती है पत्रकार की औकात क्या है ?
पुष्य मित्रपिछ्ले साल का वाकया है। एक बड़े मीडिया हाउस से मुझे फोन आया कि वे चाहते हैं कि मैं
संवैधानिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा की ओर बढ़ते कदम
शिरीष खरे/ हर कक्षा में ‘मूल्यवर्धन’ की गतिविधियों को संचालित करने के लिए दो प्रकार की गतिविधि पुस्तिकाएं होती हैं।
राफेल की रार और सियासी चाल
राकेश कायस्थ राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी की यह पहली प्रतिक्रिया है। आरोप लगाने
सरकार की मजबूती की कीमत लोकतंत्र चुकाता है !
राकेश कायस्थ सत्तर साल के भारत को देखें तो लोकतंत्र के लिहाज से आपको कौन सा दौर सबसे सुनहरा नज़र
पूंजीपति रहेंगे मस्त तो किसान रहेंगे पस्त
ब्रह्मानंद ठाकुर तमिलनाडु के किसानों का आंदोलन और मध्य प्रदेश के मंदसौर में अपनी मांगों को लेकर आंदोलनकारी किसानों पर
शाइनिंग इंडिया टू सेलिंग इंडिया
राकेश कायस्थ सरकारी तंत्र यानी नकारापन। प्राइवेट सेक्टर यानी अच्छी सर्विस और एकांउटिबिलिटी। यह एक आम धारणा है, जो लगभग
हाईब्रिड बीज के मायाजाल से कैसे निकले किसान?
ब्रह्मानंद ठाकुर ये कैसी विडंबना है कि देश का किसान जो हर हिंदुस्तानी का पेट भरता है आज वही मर