कार्टूनिस्ट भाटी के फेसबुक वॉल से
हर इंसान के जीवन में एक ना एक फुंसुख वांगड़ू जैसा किरदार जरूर होता है जो होता जीनियस है पर उसके आस-पास के सीमित सोच वाले लोग उसे इडियट साबित करने में लगे रहते हैं। मेरे जीवन में भी एक फुंसुख वांगडू है जिनका नाम सुधीर सुंदरियाल है। कौन सोच सकता था कि दिल्ली जैसे शहर के पॉश इलाके में रहते हुए, इंडिया टीवी जैसे बड़े चैनल की ग्राफ़िक डिज़ाइनर जैसी नौकरी छोड़कर कोई शख्स समाज सेवा की राह पर निकल पड़ेगा।
सुधीर के सामने आने वाले समय में तरक्की की विपुल सम्भावनायें थीं। शायद आज किसी टीम को हेड भी कर रहे होते और डेढ़ दो लाख महीना घर ले जा रहे होते। लेकिन वो दूर पहाड़ो में बसकर वहां के लोगों का जीवन सुधारने के बारे में सोच रहे हैं, जहां ना बिजली के आने का ठिकाना है ना पानी का। मोबाइल का नेटवर्क भी बमुश्किल आ पाता है।
मगर सुधीर जी और भाभीजी ने ऐसा किया और बखूबी किया। आज उनका भलु लगद ट्रस्ट गांववालों की भलाई में रात दिन जुटा है, तरक्की कर रहा है। देश विदेश से कई लोग उन्हें अपना सहयोग दे रहे हैं। जितना मैं सुधीरजी को जानता हूं, मुझे पता है कि उन्हें सम्मान या पैसे का कोई लालच नहीं है, वे बस एक सन्तुष्ट और अर्थपूर्ण जीवन जीने के पक्षधर हैं। बहुत कम लोग हैं जो औरों के लिए जीते है। हमें आप पर गर्व है सुधीर जी। आप और भाभीजी इसी तरह समाज की भलाई में लगे रहिये।