बदलाव प्रतिनिधि, मुजफ्फरपुर
जन्म के साथ बच्चों को रोना बहुत जरूरी होता है। जन्म के समय गोल्डन वन मिनट नवजात के बचने का समय होता है। ज्यादातर बच्चे को ऑक्सीजन की कमी के कारण कई तरह की परेशानियां उत्पन्न होती है। जन्म के साथ बच्चे को नहीं रोने पर मानसिक रूप से शारीरिक रूप से दिव्यांग होने की संभावना रहती है। यही नहीं इससे बच्चे की मौत भी ज्यादातर होती है। इससे बचाने के लिए एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड के सेमिनार कक्षा में जिले के सदर अस्पताल सहित सभी पीएससी के लगभग 32 मेडिकल ऑफिसर को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस आशय की जानकारी एसकेएमसीएच के शिशु विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक सह आईएपी के प्रेसिडेंट डॉ जेपी मंडल ने दिया। यह दो दिवसीय प्रशिक्षण बिहार हेल्थ सोसायटी एवं आईएपी के द्वारा दिया जा रहा है। इसके ट्रेनर डॉ जेपी मॉडल एवं डॉ तेज नारायण हैं। इस प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य नवजात को सुरक्षित जन्म कराना है। जिससे मृत्यु दर शून्य हो सके। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी मेडिकल अफसर अपने अधीनस्थ नर्सिंग स्टाफ एवं मेडिकल स्टाफ को भी इसका प्रशिक्षण देंगे। जिससे गर्भवती को प्रसव के दौरान प्रशिक्षित मेडिकल कर्मी वहां तैनात रहेंगे और नवजात के गोल्डन वन मिनट में समुचित सही देखरेख करेंगे