साबुन-शैंपू का अधूरा सच और साहबों की चोंचलेबाजी

साबुन-शैंपू का अधूरा सच और साहबों की चोंचलेबाजी

सत्येंद्र कुमार यादव

पिछले 3 दिन से एक ख़बर बार-बार नजरों के सामने आ रही है। सोशल मीडिया में इसकी कई तरीके से व्याख्या की जा रही है। कोई शुद्धिकरण का ताना मार रहा है तो कोई छुआ-छूत वाले एंगल से लिख रहा है। सबका अपना नजरिया है। लेकिन मेरा मानना है कि चलो इसी बहाने कुछ तो हुआ। जहां उज्ज्वला योजना नहीं पहुंच पाई, जहां अखिलेश सरकर की योजनाएं जाने से पहले ही दम तोड़ दीं, वहां एक मुख्यमंत्री के जाने से गांव में सड़कें बन गईं, शौचालय  का निर्माण हो गया।

ख़बर यूपी के कुशीनगर के मैनपुर कोट गांव की है । 25 मई को सीएम योगी आदित्यनाथ कुशीनगर दौरे पर थे। कहा जा रहा है कि उनके जाने से पहले मुसहर बस्ती में साबुन, शैंपू और सेंट बांटे गए। ग्रामीणों से कहा गया कि वो नहा धो कर, सेंट और पाउडर लगाकर सीएम के सामने आएं। अधिकारियों ने लोगों से एक दम चकाचक होकर सीएम के सामने आने को कहा। 1800 की आबादी वाली घास फूस की इस बस्ती में सीएम के दौरे से पहले वो काम किए गए जो पहले किसी सरकार ने नहीं किया था। बिजली की व्यवस्था, साफ-सफाई, खड़ंजा निर्माण और शौचालय बना दिए गए, लेकिन इन बातों को छोड़कर चर्चा सिर्फ शैंपू और साबुन बांटने पर हो रही है। होनी भी चाहिए, लेकिन गांव में जो विकास कार्य हुए उसकी भी चर्चा साथ में हो तो बेहतर है।

जहां तक मैं समझता हूं कि कोई भी सीएम किसी गांव में जाने से पहले ये फरमान नहीं सुनाता होगा कि वहां के लोग नहा धोकर, सेंट लगाकर उनसे मिलने आएं। ये अधिकारियों की चोंचलेबाजी हो सकती है या किसी ऐसे व्यक्ति की, जो सीएम की इमेज के साथ खेलना चाहता हो। मुझे नहीं पता कि उस गांव के लोग पहले साबुन लगाते थे या नहीं। साफ-सुथरा रहते थे या नहीं, लेकिन मैं इतना जरूर जानता हूं कि जिस गांव की बात हो रही है उस गांव के लोगों में समझ है। अधिकारी शैंपू, साबुन बांटने की जगह कुछ दिन कैंप लगाकर सफाई के प्रति जागरुकता अभियान चलाते तो सीएम की छवि के लिए फायदेमंद होता। एक अलग संदेश जाता। सीएम बनने के बाद गोरखपुर के पहले दौरे पर योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि कोई भी मंत्री या वो स्वयं किसी गांव का दौरा करता है तो उसके आने से पहले स्वच्छता अभियान चलाया जाए। लेकिन अधिकारी और कुछ समर्थक शार्ट कट अपनाने में लगे हैं। लोगों में सफाई रखने का बोध नहीं कराया जा रहा है, सिर्फ सीएम के सामने लोगों को साफ-सुथरे तरीके से रहने का दिखावा किया जा रहा है।

खैर बौद्धिक वर्ग कुछ भी चर्चा करें लेकिन कुशीनगर के मैनपुर कोट गांव के ग्रामीण इस बात से खुश हैं कि चलो गांव में कुछ विकास तो हुआ। उम्मीद है कि सीएम अधिकारियों की चोंचलेबाजी पर रोक लगाकर योजनाबद्ध तरीके से गांवों की सफाई कराएंगे और लोगों को जागरुक बनाने की कोशिश करेंगे।


satyendra profile imageसत्येंद्र कुमार यादव,  एक दशक से पत्रकारिता में सक्रिय । माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र । सोशल मीडिया पर सक्रिय । मोबाइल नंबर- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है।

2 thoughts on “साबुन-शैंपू का अधूरा सच और साहबों की चोंचलेबाजी

  1. सत्येन्द्रजी !आपने बहुत ही कम शबँदों में सबकुछ कह दिया। यह भी की जो हुआ ना चाहिए वही नही हुआ और जो हुआ वह नहीं होना चाहिएक, यह भी कि आपने अधिकारियों को आईना तो दिखाया ही , यह भी नसीहत दे ही दी कि सरकार की नीतियों कार्यक्रमों को कैसे लागू करना चहिए। लोकप्रियता प्राप्त करन के ब्युरोक्रैट्स के इन छिछले प्रयसों से सरकार की किरकिरी तो होती ही है न?

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