कुछ आप भी तो बोलिए हुज़ूर !

कुछ आप भी तो बोलिए हुज़ूर !

फोटो- साभार

कठुआ पर लगातार लिखने से कुछ लोग इतने बौखलाए हुए हैं कि अलग-अलग शहरों में हो रही बलात्कार की घटनाओं की खबर बताकर मुझसे पूछ रहे हैं कि इस पर कब लिखोगे ? उस पर कब लिखोगे ? कोई बेगूसराय का हिसाब मांग रहा है तो कोई सूरत का, कोई पंजाब की घटना पर नहीं लिखने के लिए कोस रहा है तो कोई उड़ीसा के लिए। हर स्टेटस के कमेंट बॉक्स में ऐसे सवालधारी चुनौती देने आ जाते हैं ।

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश में औसतन हर रोज बलात्कार की 107 घटनाएं होती हैं। इनमें 18 से कम उम्र की करीब पचास लड़कियां होती हैं। इनमें एक साल से लेकर बारह साल तक मासूम भी हैं। मेरे लिए ये तो मुमकिन नहीं कि पहले हर घटना के बारे में लिखूं या जानकारी रख सकूं। जब आप घेरने पर आएंगे तो कितना भी लिखूंगा, आप नई घटना निकालकर ललकारने आ जाएंगे ।

मैं इतना जानता हूं कि बीते दस सालों में बलात्कार की घटनाओं पर मैंने लगातार लिखा है, बोला है। पिछले तीन महीने में ही कम से कम बीस बार लिखा होगा ( कठुआ से पहले ) । मैं हर रोज की दस घटनाओं पर भी लिख दूंगा तो भी 97 घटनाएं बची रह जाएंगी। हर घटना तो अखबारों में भी रिपोर्ट नहीं होती। फिर कोई सवाल पूछने आ सकता है कि जरा फलां पर भी लिख दीजिए। ये एक ट्रेंड है। मैं एक हूं, आप अनेक हैं, हर शहर में फैले हुए। अब ये तो मुमकिन नहीं कि कुछ भी लिखने से पहले आप सबसे लिस्ट ले लूं और पहले उन सब पर लिख लूं, फिर अपने मुताबिक लिखूं। आपकी विश लिस्ट के हिसाब से लिखने के लिए तो मुझे दस-बीस लोग रखने पड़ेंगे, जो आपका फरमान मिलते ही चंद लाइनें पेश कर दे और दिन-रात यही काम करता रहे। तब भी कहीं न कहीं से कुछ आप खोज ही लाएंगे कि यहां का क्यों नहीं लिखा ?

अब थोड़ा काम आप भी कीजिए। मुझसे जितना बन पड़ेगा मैं करूंगा। जो लोग बलात्कार की घटना पर राजनीति करते हैं, उनका कोई मकसद होगा, मेरा मकसद सिर्फ इतना है कि हम और आप ऐसी घटनाओं पर कुछ बेचैन हों, कुछ सोचें। अपने आस-पास के बारे में सोचें, अपने घर-परिवार में बड़े हो रहे लड़कों को लड़कियों का सम्मान करना सिखाएं। उनके भीतर कोई बलात्कारी पैदा न हो इस पर नजर रखें। बलात्कारी प्रवृति के लोगों को बेनकाब करें। मैं तो बार-बार लड़कियों से भी कहता हूं कि अगर कोई आपको आपके वर्क प्लेस पर अपना शिकार बनाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ भी आवाज उठाएं, उसको इतना शर्मशार तो जरुर कर दें कि किसी लड़की को शिकार समझने से पहले सौ बार सोचे। ऐसी बाते मैं लगातार लिखता रहता हूं क्योंकि मैं भी एक बेटी का बाप हूं, मुझे ऐसी घटनाएं विचलित करती है। बहुत से लोग जो आज कहां-कहां की घटनाएं खोजकर ला रहे हैं, उन्होंने खुद भी बलात्कार की घटनाओं पर पहले शायद ही कभी लिखा हो। लेकिन आज उन्हें लगता है कि कठुआ पर लिखने वाला हर आदमी पहले उनकी लिस्ट वाली घटनाओं पर लिखे, तब कठुआ पर लिखने का हकदार होगा।


10570352_972098456134317_864997504139333871_nअजीत अंजुम। बिहार के बेगुसराय जिले के निवासी । पत्रकारिता जगत में अपने अल्हड़, फक्कड़ मिजाजी के साथ बड़े मीडिया हाउसेज के महारथी । बीएजी फिल्म के साथ लंबा नाता । स्टार न्यूज़ के लिए सनसनी और पोलखोल जैसे कार्यक्रमों के सूत्रधार । आज तक में छोटी सी पारी के बाद न्यूज़ 24 लॉन्च करने का श्रेय । इंडिया टीवी के पूर्व मैनेजिंग एडिटर ।