शिरीष खरे
एक छोटे-से कमरे के एकमात्र दरवाजे पर हर दिन सुबह-सुबह छोटे बच्चे एक सुंदर रंगोली बनाते हैं, जो अंग्रेजी के किसी एक अक्षर पर आधारित होता है। जैसे कि शुक्रवार को छोटे बच्चों ने अंग्रेजी के एक अक्षर F के आधार पर यह रंगोली तैयार की है। इसमें F से शुरू होने वाले शब्द हैं- Fan, Fox, Foot, Fat।
यह छोटे-से कमरे का एकमात्र दरवाजा है रानमला बस्ती की प्राथमिक शाला का, जो महाराष्ट्र के सांगली जिले से 85 किलोमीटर दूर है।
इस शासकीय शाला के एकमात्र शिक्षक रचनात्मक व्यक्ति हैं और बच्चों के खिलौने बनाने के लिए इन्हें अलग-अलग मंचों पर सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। सचिन गायकवाड़ नाम के इन शिक्षक की एक और विशेषता यह है कि यह बाल मन को बहुत गहराई से जानते-समझते हैं और उसी के हिसाब से बच्चों को पढ़ाते-सिखाते हैं।
जैसे कोई भी विषय को पढ़ाने-सिखाने से पहले ये कुछ देर के लिए बच्चों को “साइलेंट” का अनुदेश देते हैं। फिर किसी लघु-गीत या लघु-कथा से भूमिका बांधते हैं। उदहारण के लिए, एक मुद्दे पर बच्चों के भिन्न-भिन्न मत जानने के पहले ये एक लघु-गीत को हाव-भाव के साथ बता रहे हैं। इसमें बताया जा रहा है कि एक बंदर स्कूल जा रहा है, लेकिन स्कूल जाने के रास्ते में उसे कौन-कौन मिल रहा है और वह उन्हें क्या-क्या बोल रहा है। वह कैसी-कैसी हरकतें करते हुए स्कूल जा रहा है। इनकी शाला में 25 बच्चे हैं। इनमें 15 लड़कियां हैं।
शिरीष खरे। स्वभाव में सामाजिक बदलाव की चेतना लिए शिरीष लंबे समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। दैनिक भास्कर , राजस्थान पत्रिका और तहलका जैसे बैनरों के तले कई शानदार रिपोर्ट के लिए आपको सम्मानित भी किया जा चुका है। संप्रति पुणे में शोध कार्य में जुटे हैं। उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है।