देश में कभी पिछड़ा वर्ग आंदोलन होता तो कभी एससी एसटी और सवर्ण । हर कोई अपने अपने तरीके से अपने-आंदोलनों को जायज ठहराता है । होना भी चाहिए । संविधान ने हर किसी को अपनी बात रखने और अपने हक की रक्षा का अधिकार दिया है । आज एसएसी एसटी एक्ट के खिलाफ देश व्यापी बंद रखा गया । जिसका क्या असर हुआ ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन फेसबुक पर आमतौर पर मुखर रहने वाले लोग इस मसले पर सोशल साइट्स पर टिप्पणी करने से बचते नजर आए । लेकिन कुछ लोग ऐसे जरूर मिले जिन्होंने संतुलित और समाज की एकता की बात की है ।
उर्मिलेश उर्मिल के फेसबुक वॉल से
देश की कुल आबादी में आपकी हिस्सेदारी एक तिहाई से भी कम है! पर शासन चलाने वाले सरकार के सचिव स्तर के पदों पर 100 फीसदी आप! औद्योगिक प्रतिष्ठानों में 99 फीसदी से ज्यादा कब्जा आपका! देश की कुल सम्पदा के 90 फीसदी से ज्यादा हिस्से पर कब्जा आपका!
मीडिया में शीर्ष संपादकीय पदों पर लगभग 100 फीसदी कब्जा आपका! विधान की रखवाली का तंत्र भी अपवाद नहीं!
फिर भी आपको दलितों-आदिवासियों पर उत्पीड़न रोकने के कानून से परेशानी है! उनके आरक्षण से आपको नाराजगी है! आपको अपना सदियों से जारी आरक्षण जान से ज्यादा प्यारा है! पर जिन्हें कुछ ही साल पहले मिला आधा-अधूरा आरक्षण, आप उनका हक छीनना चाहते हैं!
सिर्फ एक ही कानून के कथित दुरुपयोग पर आप चिंतित हैं पर असंख्य कानूनों का दुरुपयोग कर गरीबों से जो भारतीय जेलें भरी पड़ी हैं, उसकी आपको तनिक चिंता नहीं!
आपकी सोच भी एक बड़ा कारण है, इस देश की बेहाली का! कितनी असमानता, कितना पिछड़ापन! आविष्कारों में हम-आप कहां हैं, जहाज हो या पनडुब्बी, सबकुछ तो हम बाहर से खरीदते हैं! कैसी है हमारी शिक्षा और कैसा है हमारा हेल्थकेयर! अपने यहां भिखारियों की संख्या देखिए! मत भूलिए कि आजादी के बाद आप ही तो चला रहे हैं देश का शासन!
जब तक रहेगी ये सड़ी-गली वर्ण व्यवस्था, हम मनुष्यता के महान् मूल्यों को अपने यहां जमीन पर नहीं उतार सकेंगे। इसलिए जरूरी है कि हम इसी सदी के पूर्वार्द्ध तक इस वर्ण व्यवस्था से धीरे-धीरे मुक्त हों! डॉ भीमराव अम्बेडकर का बड़ा सपना पूरा होगा!
आप आज खासे उत्तेजित होंगे! सोचिए, अपने बारे में कि आप कितने असभ्य, असंस्कृत और अमानवीय हैं! मुझे आपसे कत्तई नफ़रत नहीं! आप पर दया आती है! आपने अपने दिल और दिमाग में कितना सारा जहर इकट्ठा कर रखा है! आपको भी ‘आजादी’ चाहिए, अपने इन दुर्गुणों से! अपने अंदर के जहर से! अपनी अमानवीय सोच से!
(भारत के हर समाज और समुदाय में प्रगतिशील और संजीदा लोग हैं, वे बेहद मानवीय और उदार हैं! यह टिप्पणी कुछ समुदायों के सिर्फ प्रगतिविरोधी और असहिष्णु-अनुदार लोगों की चेतना को झकझोरने के लिए लिखी गई है!!).
जातिवाद का पहिया अपना चक्र पूरा करता दिखाई देता है। यह दलितों से शुरू हुआ, फिर पिछड़ों में पहुंचा और अब ब्राह्मण इसका मुखर इस्तेमाल करते दिख रहे हैं. अब समय आ गया है कि इस पहिए को उठाकर इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिया जाए और राष्ट्रीय एकता की गरज से सब अशोक की लाट के पहिए को अपना लें। अगर समय रहते ऐसा नहीं किया गया तो जातिवाद देर-सवेर देश में गृह युद्ध के हालात पैदा करेगा।
- ऐसा लगता है कि Sc-st एक्ट से सिर्फ सवर्णों को परेशानी है, पिछड़ों और मुसलमानों को नहीं।
2. सवर्णों का यह आंदोलन उनकी अपनी पार्टी के खिलाफ है, सरकार के खिलाफ नहीं।
3. बीजेपी मानकर चल रही है ये सवर्ण जाएंगे कहाँ, चार रोज में सब भूलकर हर हर मोदी करने लगेंगे।
4. कांग्रेस सोच रही है, सवर्ण आ जाये तो ठीक, न आये तो ठीक।
5. अस्मिता की लड़ाई है, लॉजिकल बातें तो होनी नहीं है। इन इधर से न उधर से।
क्या मेरा यह अवलोकन सही है?