चंदन शर्मा के फेसबुक वॉल से
हम तो विरोध करेंगे-एक
चाइना के दूरदराज के एक गांव में बनने वाला फ्लावर स्टैंड ही अमेरिका के दूरदराज एरिया के किसी ड्राइंग रूम की शोभा बढ़ाता है। उस घर के बाहर कोई चाइनीज मॉडल की स्मॉल कार खड़ी हो सकती है। चाइनीज प्रोडक्ट को लेकर यही दीवानगी दुनिया के किसी भी देश में है। ऐसा भी नहीं है कि चाइनीज प्रोडक्ट के बहिष्कार की बात इंडिया में ही होती है, ऐसा दुनिया के कई देशों में होता रहा है। अमेरिका में ही कई ग्रुप बने हैं, जो चाइनीज प्रोडक्ट के बहिष्कार को आंदोलनरत हैं। फिर क्या वजह है कि चाइना अपना माल दुनिया भर में बेच देता है?
चीन के पास कोई जादू नहीं है। चाइना का माल इसलिए बिकता है, क्योंकि उनसे सस्ती कारें, उनसे सस्ते मोबाइल या उनसे सस्ते खिलौने कोई नहीं बना पाता। उन्होंने जनसंख्या का इस्तेमाल इस तरह से किया है कि हर शहर, हर गांव में कोई इनोवेशन हो रहा होता है और कोई नया प्रोडक्ट तैयार होता रहता है। समय और तकनीक के हर दौर में वे आम लोगों की जरूरतों का समान बनाते रहे हैं। जो कहीं न कहीं तुलनात्मक रूप से ज्यादा किफायती होता है और कई मामले में ज्यादा टिकाऊ भी।
ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में जब आप चाहते हैं कि आपको नया बाजार मिले नया निवेश मिले, ऐसे में किसी भी देश को बैन करना इतना आसान नहीं रह गया है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि एंड यूजर को सुंदर सस्ता अौर टिकाऊ प्रोडक्ट चाहिए, जो चाइना बना रहा है। यही वजह है कि अमेरिका की एप्पल जैसी वर्ल्ड क्लास कंपनियों को भी अपना माल चाइना में बनवाना पड़ता है।
अपने देश की बात करें तो, विडंबना और गहरी है। हम अपने आसपास नजर दौड़ाएं दीवार में लगने वाली कांटी और पेंट से लेकर, बच्चों के खिलौने से टिफिन बॉक्स तक सही मूल्य में उच्च स्तर का नहीं बना पा रहे। हमारी कंपनियों ने और हमारी सरकार ने कभी ‘मानव संसाधन’ का सही इस्तेमाल सीखा ही नहीं। न ही हमने जरूरत के समान की क्वालिटी और कॉस्टिंग कम करने पर कभी शोध किया। हम सब कुछ भावनाओं में बहकर करते हैं। ये और बात है कि आपकी भावनाओं को भुनाने को उसने गणेश की मूर्ति से लेकर होली के रंग तक में अपना बाज़ार खोज लिया। ग़लती किसकी है, किसने रोका हमें, यह भी जरूर सोचिए जब चाइनीज प्रोडक्ट की होली जलाने की बात करतें हैं।
हम तो विरोध करेंगे-दो
पाकिस्तान के किसी एक कलाकार ने फिल्म में काम किया है, इसलिए रिलीज से पहले विरोध जायज है। क्या फर्क पड़ता है कि फिल्म यूनिट से जुड़े बाकी 300 लोग भारतीय हैं। चीन पाकिस्तान का समर्थन करता है, इसलिए चीनी सामानों की होली जलाना तो बनता है। आखिर कई सच्चे ‘समाजसेवी’ व ‘देशभक्त’ कारोबारी भी कह चुके हैं-देश सबसे पहले है। लेकिन सारा हंगामा क्या फुटकर दुकानदारों, सिनेमाहॉल तक सीमित होगा?
आप विरोध प्रदर्शन के फोटो सोटो खींच कर मीडिया में भेजते रहें, हम भी वाह-वाह करते रहेंगे। बाकी देश की बड़ी कारोबारी कंपनियों चाइना में अरबों का निवेश जारी रखेंगी और चाइनीज लोगों के रोजगार व विकास की चिंता भी करेगी। इसी तरह पाकिस्तान से भी कारोबार चलता रहेगा। चाइनीज कंपनियों का माल भी यहां पहले की तरह बदस्तूर आता रहेगा। हां, इस बीच एक ताजा खबर यह भी कि एक नई चाइनीज कंपनी ने एक दिन में ही चार लाख से ज्यादा महंगे मोबाइल बेचने का रिकार्ड इंडिया में बनाया है।
इससे पहले एक निजी कंपनी के चाइना मेड मोबाइल से ही देश की सबसे बड़ी डाटा क्रांति की भव्य शुरूआत हो चुकी है। अरे कोई नहीं दोस्त, कुछ लोगों के खाने के दांत और, दिखाने के और होते हैं। अफसोस तो यह है कि पहले यह चंद भ्रष्ट नेताओं व बनिया टाइप लोगों में ही दिखता था। अब ऐसी अनैतिकता के लिए आम लोगों को भी प्रेरित करने का दौर है। ऐसे देशभक्तों की फौज तेजी से बढ़ रही है। आज भी 139 इंडियन कंपनियों ने चाइना में 12 बिलियन डॉलर इवेंस्ट किया हुआ है, वहीं 142 चाइनीज कंपनियों का इंवेस्टमेंट इंडिया में 27 बिलियन डॉलर है। बाकी आप क्रांति जारी रखिए!
चंदन शर्मा। धनबाद के निवासी चंदन शर्मा ने कई शहरों में घूम-घूमकर जनता का दर्द समझा और उसे जुबान दी। दैनिक हिंदुस्तान, प्रभात खबर, दैनिक भास्कर, जागरण समूह और राजस्थान पत्रिका में वरिष्ठ संपादकीय भूमिका में रहे। समाज में बदलाव को लेकर फिक्रमंद।
बात बिलकुल सही है उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन मे मानकों का ख्याल रखते हुए अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा मे अव्वल आना होगा। यह किसी को केवल गलियाने से नही होने को ।
सही कह रहे हैं। विरोध दिखावे के बजाय समग्रता में होना चाहिए।
वास्तव मे हमे चीन का विरोध करने की बजाय प्रेरणा लेने की जरुरत है। आखिर हमारे साथ आजाद होनेवाला देश प्रगति के हर मुकाम पर हमसे पहले कैसे पहुच गया?
ऐसे मे अगर विरोध करना ही है तो अपनी कार्यशैली व नाकामयाबी का करे। देश के उन राजनीतिक दलो व राजनेताओ का करे जिन्होने बिना पूर्व तैयारी के देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया के बाज़ार के हवाले कर दिया।