वर्ष 2019 के ‘कारवां-ए-हबीब सम्मान’ के लिये हम सबके प्रिय रंगकर्मी, निर्देशक, गांधीवादी चिंतक एवं एक्टिविस्ट प्रसन्ना को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। कारवां-ए-हबीब तनवीर और विकल्प साझा मंच, दिल्ली द्वारा भारत के महानतम रंगकर्मी, चिन्तक एवं एक्टिविस्ट हबीब तनवीर की स्मृति में प्रतिवर्ष दिये जाने वाले कारवां-ए-हबीब सम्मान की पांच सदस्यीय चयन समिति ने वर्ष 2019 के लिये देश के शीर्षस्थ रंगकर्मी प्रसन्ना को यह सम्मान देने का निश्चय किया है। इस वर्ष की चयन समिति में प्रसिद्ध साहित्यकार उदय प्रकाश, वरिष्ठ पत्रकार और एक्टिविस्ट आनंद स्वरूप वर्मा, हिंदी के सुपरिचित नाटककार एवं संस्कृतिकर्मी राजेश कुमार, सुप्रसिद्ध रंगकर्मी एवं फ़िल्मकार अनामिका हक्सर तथा समकालीन रंगमंच पत्रिका के संपादक और रंग-समीक्षक राजेश चन्द्र शामिल थे, जिन्होंने सर्वसम्मति से इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए प्रसन्ना के नाम का चयन किया।
प्रसन्ना भारतीय रंगकर्म के शिखरस्थ व्यक्तित्व हैं। सहजता, सरलता, मृदुता, सौम्यता, दृढ़ता, जीवट, जनपक्षधरता और प्रतिबद्धता के जीवित और जीवंत आदर्श! राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षण लेने के बाद भी प्रसन्ना ने अपने जीवन और रचनाकर्म को व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं और सुख-सुविधाओं से लगभग निस्पृह बना लिया और समाज के अंतिम व्यक्ति के सपनों-संघर्षों, आशाओं-आकांक्षाओं को कार्यरूप देने में तल्लीन हो गये। अपने लिये एक ऐसे जीवन का चुनाव किया जिसे हम प्रकृति, जीवन और भारतीय ग्राम्य-समाज से एकमेक होने की एक आत्मीय और रागात्मक प्रक्रिया कह सकते है।
प्रसन्ना ने सत्ता-संस्थानों की कभी परिक्रमा नहीं की। अनुदान, महोत्सवों और पुरस्कारों के व्यापार को सदा दूर से नमस्कार किया। वे रंगमंच को उस गांव-समाज के अन्दर लेकर गये, जहां उसकी वास्तव में ज़रूरत थी। उसे ग्रामीण जीवन का, ग्रामोद्योग का और सामाजिक रूपान्तरण की प्रक्रिया का अविभाज्य अंग बना दिया। ग्रामीण गरीब लोगों का जीवन संकट में डालने वाली प्रक्रियाओं और व्यवस्थाओं के खिलाफ़ प्रसन्ना न सिर्फ अपने नाटकों में मुखर रहे हैं बल्कि उन्होंने सत्य और अहिंसा के रास्ते से विभिन्न जनांदोलनों का भी निरंतर विकास किया है। इस तरह देखा जाये तो प्रसन्ना ने अपने ही जीवन के उदाहरण से हमें एक सच्चा रंगकर्मी और नागरिक होने का अर्थ समझाया है। आज कर्नाटक में प्रसन्ना को एक संत और महामानव जैसा सम्मान इसलिये प्राप्त है कि उन्होंने स्वयं को जन-जीवन की समुन्नति के लिये न्योछावर कर दिया है। फासीवाद के इस नृशंस दौर में हम उनके इस जीवन से प्रेरणा और शक्ति ग्रहण कर सकते हैं। हबीब तनवीर की वैचारिक-सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने में प्रसन्ना का योगदान अतुल्य है।
ज्ञात हो कि हबीब साहब की वैचारिक-सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से रंगमंच सहित साहित्य, संस्कृति, समाज और राजनीति के क्षेत्र में विशिष्ट, जनपक्षधर और समग्र योगदान के लिये प्रतिवर्ष किसी एक व्यक्तित्व को कारवां-ए-हबीब सम्मान प्रदान किया जाता है। वर्ष 2018 के लिये सर्वप्रथम यह सम्मान प्रख्यात रंगकर्मी एवं फ़िल्मकार अनामिका हक्सर को देने की घोषणा पिछले वर्ष की गयी थी, जिन्हें आगामी 01 सितम्बर, 2019 (हबीब तनवीर की जन्म-तिथि) को मुम्बई में एक समारोह में सम्मानित किया जायेगा।