कतार में पीएम की मां के अपने-अपने मायने

कतार में पीएम की मां के अपने-अपने मायने

urmileshmodi-mother-atmउर्मिलेश (फेसबुक वॉल से)

प्रधानमंत्री मोदी के प्रशंसकों को मुझसे शिकायत नहीं होनी चाहिये। प्रधानमंत्री जी के कतिपय गुणों को मैं भी स्वीकार करता हूं। भारत की दक्षिणपंथी और हिन्दुत्ववादी सोच-आधारित संघ परिवारी-राजनीति में अब तक उन जैसा कोई नहीं हुआ। वह जिस तरह लोगों को अपनी बातों से आकर्षित करते हैं, वायदों से लुभाते हैं और नाटकीय अंदाज में जनसभाओं के दौरान संवाद करते हैं, वह बात मधोक-दीनदयाल-वाजपेयी-आडवाणी, किसी में नहीं थी। वह मंच पर अपनी खास किस्म की हिन्दी मेंं 56 इंच के सीने की चर्चा करते हुए विपक्षियों पर गरज सकते हैं तो अगले ही क्षण रूआंसे होकर जनता से संरक्षण की अपील कर सकते हैं। कभी-कभी ऐसी बातें भी मंच से कहते हैं, जो पीएम जैसे शीर्ष पद पर आसीन कोई नेता शायद ही कहे! ऐसी बातें हमारे जैसे पिछड़े समाज के एक हिस्से को, जिनमें अशिक्षा और अज्ञान बड़े पैमाने पर है, को लुभाती है!

पिछले लोकसभा चुनाव के पहले वह भारत के बड़े कारपोरेट-बड़े उद्योगपतियों के सबसे भरोसेमंद नेता के तौर पर उभरे। बहुत जल्दी ही मतदाताओं के बीच छा गये। कारपोरेट, मीडिया और मध्यवर्ग का इसमें भरपूर समर्थन मिला। अब सत्ता में ढाई साल बीत रहे हैं। कारपोरेट-उद्योगपतियों के बाद अब वह देश के गरीबों का भी दिल जीतने निकल पड़े हैं! कभी वह लोगों को पुचकारते हैं तो कभी धमकी देते हैं। मानना पड़ेगा उनके सियासी अंदाज को। इस राजनीतिक कौशल को भला कौन नजरंदाज कर सकता है? भारतीय वामपंथी या उदारपंथी राजनीति के पास इस तरह के राजनीतिक कौशल (अच्छे और जनपक्षी कंटेट के साथ) से लैस एक भी नेता नहीं है! इसलिये लोकतंत्र के समक्ष आज सबसे गंभीर चुनौती है।


AMITABHJI PROFILEअमिताभ श्रीवास्तव (फेसबुक वॉल से)

पता नहीं क्यों, तमाम आदर के बावजूद प्रधानमंत्री जी की वयोवृद्ध मां का नोट बदलवाने के लिए लाइन में लगना अजीब सा लगा। इतनी बुज़ुर्ग महिला को तो बैंक आने की आवश्यकता ही नहीं पड़नी चाहिए। उनके परिवार में और लोग भी तो हैं। जो लोग राहुल गांधी के लाइन में लगने को नौटंकी बता रहे थे, वे ही अब इस घटना को देश सेवा, त्याग वगैरह की मिसाल बताएंगे। मीडिया में ये तस्वीर बार बार घूमेगी। बीजेपी, सरकार और उनके समर्थक इसे एक आदर्श उदाहरण की तरह प्रस्तुत करेंगे। ये सही नहीं है। हम कुछ ज्यादा ही नुमाइशी राजनीति की तरफ बढ़ते जा रहे हैं।


pankaj-news-of-biharपंकज प्रसून

जब 97 साल की एक बुजुर्ग महिला अपने चार-चार लायक बेटों और करीब आधे दर्जन कर्मठ पोते-पोतियों के बावजूद भी कतार में लग कर पैसा निकाल सकती है तो आम लोगों को सब्र जरूर रखना चाहिए। डर इसी बात का है कि अब कहीं घर-घर की यही कहानी ना हो जाए और तमाम बेटे-बहु बुजुर्गों को नसीहत ना देना शुरू कर दें कि वहां देखिए मोदी जी की माता जी लाइन में लग कर पैसा निकाल लेती हैं और आप यहां खाट तोड़ रहे हैं। अरे यही तो उम्र है जब आप राष्ट्रहित की खातिर…अपने बेटे-पोते की खातिर बैंक से पैसा निकाल कर ला सकते हैं और सुनिए अब ये बहानेबाजी नहीं चलने वाली है…बुजुर्ग हैं तो क्या हुआ… महान वही होता है जो अपने बुजुर्ग माता-पिता को अपने आलीशान घर में नहीं रखता है। महान होने का एक और लक्षण होता है कि खुद तो दिन में तीन-तीन बार शानदार परिधान पहनो लेकिन अपने बुजुर्ग माता-पिता को मटमैली सी और सस्ती वाली सूती की साड़ी या धोती पहनाए रखो ताकि आप सब जगह शेखी बघाड़ सकें कि देश की खातिर मैंने अपना परिवार, माता-पिता सब कुछ को त्याग कर दिया। भारत माता की जय!

 

One thought on “कतार में पीएम की मां के अपने-अपने मायने

  1. पीएम नरेन्द्र मोदी जी की मां बैंक के कैश काउनटर पर लाईन में?अविशवसनीय ।।भाई काहे ला हम गरीबों को बेबकूफ बना रहे हो।बंद करो यह नकली खेल ।

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