बूंदें पत्तियों पर ठहरना
धीरे धीरे छलकना
पत्तियों से बतियाना
पत्तियाँ खामोश रहेंगी
वो बोलीं तो हिलीं
और बूंदों ने पकड़ी राह
पलों के इस मिलन का
रस पत्तियों में बस जायेगा
बस वही रह जायेगा।
पशुपति, 16 सितंबर 2021
बूंदें पत्तियों पर ठहरना
धीरे धीरे छलकना
पत्तियों से बतियाना
पत्तियाँ खामोश रहेंगी
वो बोलीं तो हिलीं
और बूंदों ने पकड़ी राह
पलों के इस मिलन का
रस पत्तियों में बस जायेगा
बस वही रह जायेगा।
पशुपति, 16 सितंबर 2021