पशुपति शर्मा
नशे में है कौन नहीं
और किसमें है नशा नहीं
है नशा उन्हीं में
जो कहते मुझमें नशा नहीं।
नवोदय विद्यालय पूर्णिया का वो छरहरा साथी, जिसकी जुबान/लेखनी से निकली ये पंक्तियां मेरे जेहन में गहरे तक बैठी रहीं, वो आज अस्पताल के बिस्तर पर ज़िंदगी की एक बड़ी लड़ाई लड़ रहा है। नवोदय विद्यालय पूर्णिया से जुड़े तमाम व्हाट्स एप ग्रुप और सोशल साइट्स पर उसकी चर्चा है। यारों की महफिल में हर दिन सैंकड़ों पंक्तियां उस साथी को लेकर लिखी जा रही हैं- जिनमें स्नेह है, चिंता है, फटकार है और सबसे अधिक प्यार है। नवोदय विद्यालय के 87 बैच का वो एक अजीब सा हमसफ़र है- हम सभी का अपना ओम बाबू।
ओम प्रकाश नीरज एक सामान्य सी कदकाठी का बेहद आम सा इंसान। स्कूल के दिनों में ही उसने अपने लिए ओम बाबू जैसी उपाधि अर्जित कर ली। वो हर दिल अजीज रहा। हर तरह के समूहों में उसकी अपनी जगह रही। वो हर तरह के कार्यक्रमों में अपनी भूमिका तलाश लेता। सांस्कृतिक कार्यक्रमों से लेकर खेल के मैदान तक उनकी उपस्थिति हर जगह रहा करती। ख़ास कर टेलीविजन/वीसीआर पर फिल्म देखने के दौरान कोई व्यवधान न पड़े इसका ओम बाबू पूरा खयाल रखा करते। ऐसे मौके पर हम सभी साथी ओम बाबू को हमेशा टीवी सेट के आस-पास देखने के आदी रहे हैं।
ओम बाबू, स्कूल के दिनों के बाद भी यदा-कदा मिलते रहे। हर बार वो अपनी जीवन शैली, फ़ैसलों से चौंकाते रहे। दिल्ली के प्रतिष्ठित हिन्दू कॉलेज में उनके दाखिले की खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं टिकी। अचानक एक दिन हमें पता चला कि उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी है। फिर उन्होंने अलग-अलग तरीके से ज़िंदगी में कई और प्रयोगधर्मी फैसले किए उन्हें आजमाया। ज़िंदगी के अनुभवों की पाठशाला में कई मीठे-कड़ुवे अनुभव जमा किये। कड़वे अनुभव उनकी छरहरी काया में घुलते गए और उसकी मिठास उनके चेहरे से आस-पड़ोस में फैलती रही। ये अलग तरह की शख्सियत है, जिसकी जीवन शैली से आप इत्तफाक भले न रखें लेकिन जब वो आपके ईर्द-गिर्द होते हैं तो आप उनसे अपनी नाराजगी को भूल जाते हैं, शिकवा-शिकायत नहीं कर पाते।
पिछले दिनों उन्हें ब्रेन स्ट्रोक आया और वो बिस्तर पर जा पड़े। बेहद चुनौतीपूर्ण दो ऑपरेशन के बाद उनकी हालत में सुधार हो रहा है। वो मैक्स अस्पताल में भर्ती हैं। पूर्णिया में हमारे साथी डॉ नसीम मेडिकल डेवलपमेंट पर नज़र रख रहे हैं। इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में बैठे साथी हर तरह से राय जाहिर कर रहे हैं, अपना एक्शन प्लान तैयार कर रहे हैं। जो जिसका सामर्थ्य है, वो उस रूप में अपनी सहभागिता मुकम्मल कर रहा है।
इसी दौरान व्हाट्स एप ग्रुप में अखिलेश कुमार का संदेश पढा, नर्स ने कहा कि आखिर ये कितना बड़ा वीआईपी है, जिसकी चिंता में पूर्णिया से कनाडा तक से कॉल आ रही हैं। मिलने आने वालों का तांता लगा है। ये नवोदयन स्पिरिट है, जो कई बार हैरान कर जाती है। रिश्तों की इस तासीर को वही समझ सकता है, जिसने इसे जिया है। ओम बाबू के लिए तमाम लोग तमाम तरह से मदद को आगे आए हैं। कोई वक्तदान कर रहा है, कोई रक्तदान कर रहा है, कोई अर्थदान कर रहा है। और मेरा जैसा व्यक्ति भी है- जो कुछ और नहीं कर पा रहा तो ‘शब्द-दान’ कर रहा है।
और हम तमाम साथियों की तमन्ना बस इतनी है कि ओम बाबू फिर से अपनी जीवन शैली और इच्छाशक्ति से हमें एक बार और चौंकाएं। मेडिकल साइंस की तमाम अटकलों को खारिज करते हुए पूर्णत: स्वस्थ होकर हमारे बीच आएं। पेट्रोल पंप पर पहले की तरह चौकड़ी जमाएं। अपने प्रेम प्रसंगों के किस्सों को अपने ही अंदाज में अपने चुनिंदा मित्रों से साझा करें और उनकी इस किस्सा गोई का रस छन-छन कर ही सही हम सभी के बीच पसरता रहे। हमें आनंदित करता रहे। ओम बाबू की जय हो।
पशुपति शर्मा ।बिहार के पूर्णिया जिले के निवासी। नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से संचार की पढ़ाई। जेएनयू दिल्ली से हिंदी में एमए और एमफिल। डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। उनसे 8826972867 पर संपर्क किया जा सकता है।
Excellent article pashupati.
Keep it up.
ओम भैया, आप जल्द ही स्वस्थ हो जाएँगे ! हम सब आपके लिए प्रार्थना कर रहे हैं !