राकेश कायस्थ
आज सुबह मेरी पत्नी ने मुझे विजयी भव: वाले उसी अंदाज़ में घर से भेजा जैसै पुराने जमाने में रणभूमि पर जा रहे योद्धाओं को भेजा जाता था। सिर्फ रक्त तिलक नहीं हुआ, बाकी तैयारी पूरी थी। लड़ाई के साजो-समान में तीन चेक बुक, दो एटीएम कार्ड, चार हज़ार की पुरानी करेंसी। भरे हुए फॉर्म, पैन कार्ड की फोटो कॉपी और ऑरिजनल दोनों। क्या पता युद्ध कब तक चले, इसलिए बैग मेंं पानी की बोतल के साथ बिस्किट का एक पैकेट भी था।
जंग जीतने के मेरे पिछले दो प्रयास नाकाम हुए थे। लेकिन दोनों बार गलती मेरी थी। एक बार भीड़ देखकर हिम्मत नहीं जुटा पाया, दूसरी बार तकरीबन घंटे भर खड़े रहने के बाद लौट आया क्योंकि ऑफिस के लिए पहले ही देर हो चुकी थी। मैं जहां रहता हूं वहां एटीएम की भरमार है। लेकिन ताला हर जगह पड़ा था। बैंकों में एक्सचेंज की लाइन इतनी लंबी थी कि ढाई-तीन घंटे से पहले नंबर आने की कोई उम्मीद नहीं थी। एचडीएफसी और एक्सिस बैंक से होता हुआ आईसीआईसीआई बैंक पहुंचा, जिसका मैं पिछले बीस साल से ग्राहक हूं। लाइन इतनी लंबी थी कि असर ट्रैफिक पर हो रहा था।
धूप में कुम्हलाये कर्मचारी बाहर खड़े अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। पहुंचते ही मुझे बता दिया गया कि एटीएम से किसी तरह की उम्मीद रखना बेकार है। एक्सचेंज हो रहा है, कैश विथड्रॉ भी कर सकते हैं। लेकिन सारे टोकन पहले बांट दिये गये। कैश खत्म होने को है। अब मंगलवार को आइयेगा। अचानक मेरी नज़र उस कर्मचारी पर पड़ी जिसने मुझे पिछले साल एक इक्विटी लिंक इंश्योरेंस प्लान बेचा था और नये प्रोडक्ट्स की जानकारी के लिए यदा-कदा फोन करता रहता है। मैने तुक्का फेंका– यार प्रिविलेज्ड कस्टमर हूं, कुछ मदद करोगे या नहीं? जवाब में वह मेरी देखकर हंसा। सामूहिक लाचारी में लिपटी एक निर्लिप्त और निरपेक्ष किस्म की वैसी ही हंसी, जो आजकल पूरा देश हंस रहा है।
रणभूमि से घर लौटकर मैने पूछा कि राशन कितने दिन का है। मालूम हुआ कि 15 दिन तक कोई टेंशन नहीं है। उसके बाद भी ग्रोसरी वाला उधार देने को तैयार है। महान भारत का एक साधन संपन्न नागरिक होने पर मुझे गर्व हुआ। कालेधन के खिलाफ जयकारे लगाना मैं फिलहाल अफोर्ड कर सकता हूं। वैसे सुना है कि लाखों लोगों के घर चूल्हा जलना मुहाल है। हुआ करे, परवाह किसे है? गिनी पिग के शरीर में ज़हर उतारे बिना महान वैज्ञानिक प्रयोग कहां सफल होते हैं? इसलिए मॉल जाकर क्रेडिट या डेबिट कार्ड से राशन-पानी ले आइये और घर बैठकर कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक का जश्न मनाइये।
राकेश कायस्थ। झारखंड की राजधानी रांची के मूल निवासी। दो दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय । खेल पत्रकारिता पर गहरी पैठ, टीवी टुडे, बीएजी, न्यूज़ 24 समेत देश के कई मीडिया संस्थानों में काम करते हुए आपने अपनी अलग पहचान बनाई। इन दिनों स्टार स्पोर्ट्स से जुड़े हैं। ‘कोस-कोस शब्दकोश’ नाम से आपकी किताब भी चर्चा में रही।
True Story and present situation of country