मुजफ्फरपुर/बदलाव प्रतिनिधि।
गायघाट प्रखंड के बेनीबाद ओपी अंतर्गत बागमती नदी के मधुरपट्टी में गुरुवार की सुबह हुई नाव दुर्घटना में लापता लोगों की तलाश जारी है।अभी तक तीन शव बरामद किए जा चुके हैं।करीब 12 लोग लापता बताए जा रहे हैं।शेष 9 की तलाश में स्थानीय लोगों के सहयोग से एसडीआर एफ और एनडीआरएफ की टीम जुटी हूई है।अबतक मोहम्मद अजमत (उम्र 4 बर्ष),मोहम्मद समसुल (40बर्ष)और पिंटु सहनी (20बर्ष) का शव बरामद कर लिया गया है। तीनों शवों की बरामदगी को बाद वहां उपस्थित मृतकों के परिजनों में कोहराम मच गया।महिलाएं दहाड़ मार कर रोने लगी। इस दर्दनाक घटना के बाद मधुरपट्टी सहित आसपास के गांव में भी मातम छाया हुआ है। जिन लापता लोगों की अबतक बरामदगी नहीं हूई है ,उनके घरों में कोहराम मचा हुआ है।लोग नदी तट पर जमा होकर पथराई आंखों से अपने दिल के टुकड़ों को एक नजर देखने के लिए लगातार टकटकी लगाए हुए हैं।पीड़ित परिवार की महिलाओं का चीत्कार सुन वहां खड़े अन्य लोग भी बार बार अपनी आंखें पोंछ रहे हैं। पूरे मधुरपट्टी गांव का वातावरण करुण क्रंदन का हृदय विदारक दृश्य पैदा कर रहा है। तीनों शवों का पोस्टमार्टम गायघाट पीएचसी में कराने के लिए भेजा गया है।दो शव घटनास्थल से काफी दूर दरभंगा जिला सीमा में मिलने की सूचना है।वह दोनों नव खबर लिखे जाने तक मधुरपट्टी गांव नहीं लाया जा सका है।
गायघाट प्रखंड के बलौरनिधि पंचायत का एक छोटा-सा गांव है यह मधुरपट्टी।चारों तरफ से नदी से घिरे इस गांव में कुल 200 घर बताए जा रहे हैं।खेती -किसानी, पशुपालन और मजदूरी यहां के लोगों की जीविका का मुख्य साधन है। सरकारी संस्था के नाम पर यहां मात्र एक मइड्लस्कूल है।यहां से 8 वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद बच्चे अगली कक्षा की पढ़ाई ं बलौर हाईस्कूल में करते हैं। इसी गांव की कामिनी बलौर हाईस्कूल की 10 वीं कक्षा की छात्रा थी।उसे मैट्रिक का फिल्म भरना था। इसलिए वह भी उसी नाव पर सवार हो स्कूल के लिए चली थी।वह भी लापता बताई जा रही है।उसके घर में भी मातम पसरा है। मधुरपट्टी और बलौर के बीच बागमती नदी बह रही है। बलौर पंचायत मुख्यालय है।मुखिया ,सरपंच ,पंचायत समिति और जिला पार्षद सभी बलौर के ही हैं।लिहाजा मधुरपट्टी के लोगों को अपनी हर जरूरत के लिए नाव से नदी पार कर बलौर जाना पड़ता है। नाव की व्यवस्था भी गांव वाले आपसी सहयोग से चंदा लेकर करते हैं। घटवार को प्रति परिवार से हिलाने 20 किलो अनाज देने की बात कही जा रही है।सरकारी और से नाव की व्यवस्था नहीं रहने के कारण सभी लोग आपस में चंदा कर एक नाव बनवाए हुए हैं। नाव से नदी पार करने के लिए लोगों ने एक खास तरीका अपना रखा है।नदी के दोनों किनारों पर एक -एक मोटा खम्भा गाड कर उसके सहारे नदी के आर – पार एक मोटा तार बांध दिया है। इसी तार के सहारे नाव को वे खींचते हुए इस पार से उस पार लाते और ले जाते हैं। दिन में अनगिनत बार वे इसी तरह से मधुरपट्टी से बलौर और बलौर से मधुरपट्टी आना – जाना करते हैं। गुरुवार के दिन सुबह मधुरपट्टी के कुछ स्कूली बच्चे और महिलाएं इसी तरह से नाव पर सवार हो बलौर जा रहे थे। बच्चे हाईस्कूल में पढ़ने और महिलाएं अन्य काम के लिए जा रहीं थीं।बताया जाता है कि इसी क्रम में रस्सी टूट गई और नाव डगमगाने लगी।बच्चे रोने रोने लगे।फिर नाव असंतुलित होकर पानी में डूबे गई। प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि उस वक्त नाव पर करीब30-32 लोग सवार थे।इनमें कुछ ने तैर कर अपनी जान बचाई। किनारे पर खड़ा एक युवक, पिंटु सहनी तुरत पानी में कूद कर दो-तीन लोगों को बाहर निकाला।पिंटु और लोगों को निकालने की कोशिश कर ही रहा था कि डूब रहे कुछ लोगों द्वारा पकड़ लिए जाने के कारण वह भी नदी में डूब गया।उसकी लाश मिली चुकी है।शेष लापता लोगों की तलाश की जा रही है। मधुरपट्टी से सड़क के रास्ते भी बलौर आया जा सकता है ,लेकिन मधुरपट्टी से बलौर भाया बेनीबाद आने में दस किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।नदी पार कर बलौर जाने में सिर्फ आधा किमी दूरी तय करनी होती है। इसलिए लोग नाव से ही आना -जाना पसंद करते हैं।यहां के लोगों में इस बात को लेकर अपने सांसद और विधायक के प्रति जबरदस्त आक्रोश है कि उनके लगातार आश्वासन के बाबजूद अबतक यहां एक पुल का निर्माण नहीं हो सका।घटना के बाद सांसद अजय निषाद और विधायक निरंजन राय जब गांव में पहुंचे तो उन्हें गांव के लोगों का ऐसा ही आक्रोश झेलना पड़ा। र गोन का कहना है कि यह पहला हादसा नहीं है,इससे पहले भी ऐसे कई हादसे यहां हो चुके हैं।
आज से करीब 21 साल पहले2002 में भी यहां हुई नाव दुर्घटना में एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत हो जाने की बात कही जा रही है।