बिहार: AES से मरने वालों में ज्यादातर गरीब हैं, गरीबों में भी ज्यादातर महादलित परिवार के लोग हैं और उनमें भी सबसे अधिक बेटियां। 3 जून से शुरू हुआ मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत का सिलसिला आजतक लगातार जारी है। 16 जून को भी 18 बच्चे मर गये। मुजफ्फरपुर में आँकड़ा सौ के पार चला गया है। पूरे बिहार में करीब 300 तक । जो हालात हैं उससे जाहिर है सरकार इन मौतों को रोक पाने में बिल्कुल सक्षम नहीं है। मगर क्या अपने बच्चों को हम सरकार के भरोसे मरने दें? क्या हम उन्हें नहीं बचा सकते?
अगर वाकई आप मुजफ्फरपुर के बच्चों को बचाना चाहते हैं तो एक प्लान है। हम सब मुजफ्फरपुर चलें। प्रभावित इलाकों में रात के वक़्त घर घर जाकर पता करें, बच्चा भूखा तो नहीं है। हम यहां से ग्लूकोज, ओआरएस और ऐसी ही दूसरी चीजें लेकर चलें। अधिक बीमार बच्चों को तत्काल अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था करें। अगर हम एक भी बच्चे को बचा पाते हैं तो यह मानवता की सेवा होगी। क्योंकि अब किसी को कोसने या दोष देने का वक़्त नहीं। यह राहत और बचाव अभियान चलाने का वक़्त है। क्योंकि बारिश अभी 26 जून तक दूर है।मगर सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि हम क्या करेंगे। इसके लिये ये स्क्रीन शॉट शेयर कर रहा हूं।
यह 2015-16 में बने और 2018 के संशोधित सरकारी एसओपी का हिस्सा है। इसे पढ़ें और इसके हिसाब से जितना मुमकिन है करें।
इन्हीं तरीकों से सरकार ने 2015 से 2018 तक इस रोग को काबू किया है। इस बार यह काम नहीं हुआ इसलिये मौतें हुईं।
अगर आप जा रहे हैं तो इन चीजों को लेकर जायें-
- थर्मामीटर
- ग्लूकोज, ओआरएस
- पारासिटामोल
- सूती कपड़े का टुकड़ा
इन चार चीजों की जरूरत इस वक़्त मुजफ्फरपुर की गरीब बस्तियों में है।
हर मुहल्ले में एक या दो थर्मामीटर बांटें और उन्हें बुखार चेक करने का तरीका बतायें। कहें बुखार को 100 डिग्री से अधिक बढ़ने न दें। पट्टी देना सिखाएं। बुखार बढ़ने पर पारासिटामोल देने कहें। उन्हें कहें कि अगर बच्चे की शरीर में ऐंठन हो तो अस्पताल जायें। सीधे एसकेएमसीएच न जायें। पहले पास के सरकारी अस्पताल में जायें। पट्टी देना, ग्लूकोज, ओआरएस पिलाना किसी सूरत में बन्द न करें। बच्चे को दांती आने या झटके आने पर दांत के बीच में कपड़े दबाने कहें। - कुछ लोग मुजफ्फरपुर के लिये निकल रहे हैं। छोटी सी कोशिश है। ये लोग अगर एक बच्चे को भी बचा पाते हैं तो बड़ी उपलब्धि होगी।
- मुजफ्फरपुर की हेल्पेज इंडिया की इकाई ने सहयोग का वादा किया है। हेल्पेज इंडिया अपने तरीके से भी कांटी प्रखंड के इलाके जागरुकता फैलाने का काम करेगी।
- पुष्य मित्र, वरिष्ठ पत्रकार