वरिष्ठ पत्रकार रमेश परिदा के फेसबुक वॉल से
बेहद शर्मनाक ! मध्य प्रदेश के होशंगाबाद से घर से भागी युवती का पटना रेलवे स्टेशन पर तीन मनचलों ने पीछा किय़ा । रेलवे ट्रैक पर भागी, और उसके दोनों पैर कट गए। कहा जा रहा है कि रेलवे पुलिस ने झूठ बोला कि लडकी ट्रेन से गिर गई थी। हकीकत ये थी कि वो अपनी इज्ज़त बचाने के लिए गुंडों से बच कर भाग रही थी, रेल पटरी पर गिर गई और ट्रेन के नीचे आकर उसके दोनों पैर कट गए। आलम ये कि अस्पताल में डॉक्टरों और नर्स ने लड़की का इलाज तक ठीक से नहीं किया। बाद में उसका परिवार उसे मध्य प्रदेश ले आया। बिहार पुलिस ने अभी तक उन तीन मनचलों को गिरफ्तार नहीं किया है।
सुरेश प्रभु साहब, भारतीय रेलवे पूरे देश में फैला हुआ एक अराजक तंत्र का दूसरा नाम है। रेलगाड़ियों में, रेलवे स्टेशनों पर, रेल पटरियों के आस-पास कोई कुछ भी कर सकता है – हत्या, लूट, बलात्कार, राहजनी, गुंडई, दबंगई। आखिर ये भारतीय रेल जो है, यहां टीटीई किसी को भी धकियाकर चलती ट्रेन से नीचे फेंक सकता है, जान जाए तो जाए। यहां पिस्तौल, छूरे से लैस गुंडे कभी भी चलती ट्रेन के अन्दर मुसाफिरों को लूट सकते हैं, मनचले चलती या खड़ी ट्रेन में बेसहारा महिलाओं के साथ बलात्कार कर सकते हैं, प्लैटफॉर्म पर चोर-उचक्के मुसाफिरों का माल उड़ा सकते हैं। चायवाले चाय में ज़हरीला रंग मिला दूध डालकर चाय बेच सकते हैं, पेन्ट्री कार वाले अपने बीवी-बच्चों को जो खाना दे नहीं सकते, वही खाना मुसाफिरों को दे सकते हैं, न कोई देखने वाला, न कोई सुनने वाला।
आप प्रभु साहब अपने अफसरों, अपने सांसदों की वाहवाही बटोरकर मुंगेरीलाल वाली अपनी दुनिया में घूमते रहें। हाईस्पीड ट्रेन, बुलेट ट्रेन आप जैसों को मुबारक। अाम आदमी को कम से कम आराम से सुरक्षित सफ़र करने का मौका तो दीजिए, महिलाओं को इज्ज़त तो बख्शिए। इस बेचारी लडकी का क्या कसूर था ? क्यों नहीं गिरफ्तार हुए वो तीन मनचले ? क्या कर रहा है आपका रेल महकमा ? माना कि रेलवे पुलिस राज्य सरकार के अधीन है, लेकिन आप तो रेलवे सल्तनत के बादशाह हैं!
रमेश परीदा। वरिष्ठ पत्रकार। लंबे वक़्त से इंडिया टीवी ग्रुप की कोर संपादकीय टीम का हिस्सा हैं। कोलकाता यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा हासिल की। अपने आस-पास की घटनाओं पर बेबाक राय और स्वतंत्र चिंतन आपकी ख़ासियत है।
पूजीवादी राजसत्ता के मैनेजर इन मंत्रियो और उनके संरक्षक पुलिसिया व्यवस्था के सामने देश जनता का दुखदर्द सुनाना ‘भैंस के आगे बीन बजाई भैस रहे पगुराई ‘कहावत जैसी होगी ।आकंठ भ्रष्ट हो चुकी व्यवस्था को बदलने की बात होनी चाहि ।