जज्बात के तूफान ड्रग्स से खतरनाक… स्कूल के गेट से लटक जोड़े ने दी जान

जज्बात के तूफान ड्रग्स से खतरनाक… स्कूल के गेट से लटक जोड़े ने दी जान

मर जाते हैं या मार दिये जाते हैं । थोड़ी समझ होती है तो दोनों अलग रास्ता खुद अपना लेते हैं और नई जिंदगी शुरू कर देते हैं । ग्रेटर नोएडा में 5 जनवरी 2019 की घटना दिल को झकझोर देने वाली है । अभी तो वो 11वीं में ही पढ़ रही थी, जिससे प्यार करती थी उसकी शादी 15 दिन बाद थी और वो 12वीं का छात्र था । यानी दोनों की उम्र 17-18 साल की थी। सवाल तो ये है कि इस उम्र में घरवालों ने लड़के की शादी क्यों तय कर दी ? आखिर शादी की इतनी जल्दबाजी क्यों ? इधर दोनों प्यार के इस मुकाम तक पहुंच गए थे कि अलग रहना मुश्किल हो रहा था। धर्म तो एक ही था लेकिन दोनों की जाति अलग थी और शायद जातिगत वजह से ही दोनों के परिवार वाले उन्हें एक साथ रहने या शादी करने की मंजूरी नहीं दे रहे थे । लेकिन फायदा क्या हुआ ? जब लड़के की शादी तय हो गई तो दोनों के जज्बात इस कदर दिमाग पर हावी हो गया जिससे निकलना दोनों के लिए शायद मुश्किल था ।

12वीं में मेरा एक विषय शिक्षाशास्त्र भी था । हमारे शिक्षक शिक्षाशास्त्र के बहुत ही जानकार थे । मुझे आज भी याद है कि वो पढ़ाते हुए बार-बार उस टॉपिक पर ज्यादा जोर देते थे जिसमें इस बात का जिक्र था कि “किशोरा अवस्था आंधी और तूफान की अवस्था होती है”। इस टॉपिक को वो हर एंगल से समझाया करते थे । 11वीं और 12 वीं कक्षा में उन्होंने दर्जनों बार इस चेप्टर को पढ़ाया। ये उम्र ऐसी होती है कि हर किशोर कुछ तूफानी करने की सोचता है। प्यार हो, खेल हो या बाइक चलाना या उस वक्त साइकिल चलाना। जज्बात का तूफान भी काफी उग्र होता था और उसमें किसी की बात न सुनने की ज्यादा संभावना होती थी । इस उम्र में जो भी प्यार, किसी लड़की से लगाव कर बैठता था तो उसके जज्बात उस लड़की या लड़के से इतने जुड़ जाते हैं कि, अगर कोई समझाता है तो चीजें समझ नहीं आती । दिल पर दिमाग का भी जोर नहीं चलता । अगर यहां समझदारी से काम नहीं लिया गया तो बात बिगड़ने की संभावना ज्यादा होती है । हालांकि पहले की तुलना में अब माहौल थोड़ा खुला है तो बात समझाना भी आसान है और लड़के या लड़कियां थोड़ी प्रैक्टिकल भी हैं । माता-पिता भी खुल कर अपनी बातें अब रखने लगे हैं। फिर भी कुछ ऐसे होते हैं जो जज्बातों की दरिया को पार नहीं कर पाते और डूब जाते हैं ।

ग्रिल से लटकता प्रेमी जोड़े का शव ।

ग्रेटर नोएडा के इस जोड़े के साथ भी ऐसा ही हुआ। लोग उन्हें एक दूसरे से दूर रहने की सलाह देते थे । भले ही वो वजह जातिगत थी या उम्र, लेकिन दोनों के पल्ले घरवालों की बात नहीं पड़ी । उन्हें लगा कि घरवाले उनके प्यार पर पहरा लगा रहे हैं और मोहब्बत के दुश्मन हैं । दोनों इस कदर एक दूसरे के प्यार में थे कि अलग होना मतलब मौत। उनके सामने शायद यही रास्ता दिख रहा था और बाकी रास्तों को जज्बात के तूफान ने बंद कर दिया था । जैसे-जैसे लड़के की शादी की तारीख नजदीक आ रही थी प्यार और परवान चढ़ते जा रहा था । नतीजा दोनों ने घर छोड़ने का फैसला कर लिया । क्योंकि शादी मर्जी के खिलाफ तय की गई थी।

शनिवार सुबह दोनों ने सिर्फ घर छोड़ने का ही फैसला नहीं किया, इस दुनिया को अलविदा कहने की प्लानिंग बना ली। छात्रा घर से स्कूल जाने की बात कह कर निकली थी और छात्र भी अपनी बाइक लेकर घर से निकला था । पुलिस की माने तो दोनों एक जगह मिले और वहां से बाइक से ग्रेटरनोएडा के ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल पहुंचे । दोनों में कोई इस स्कूल में नहीं पढ़ता था। छुट्टी होने के बावजूद वो स्कूल जाने की बात कह कर घर से निकले थे और बताया जा रहा कि प्रथमदृष्टया दोनों ने ग्रिल से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली । शनिवार (5 जनवरी) सुबह जब स्कूल की महिला कर्मचारी पहुंची तो उसने देखा कि एक बाइक खड़ी है और स्कूल में बैग भी पड़ा है । स्कूल के अंदर की भयावह तस्वीरें देख महिला कर्मचारी सन्न रह गई । तुरंत मामले की सूचना पुलिस और आसपास के लोगों को दी । मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों के शव को अपने कब्जे में लिया । लड़का तनाजा गांव का रहने वाला था और वो सरस्वती इंटर कॉलेज का छात्र था । वहीं लड़की आकलपुर गांव के भंवरपाल इंटर कॉलेज की छात्रा थी । अब सवाल ये है कि जब स्कूल बंद था तो दोनों अंदर कैसे पहुंचे ? स्कूल कैंपस में कैसे घुसे ? पुलिस इस मामले की जांच कर रही है ।

15 दिन बाद छात्र की शादी होने वाली थी।

दोनों छात्रों के परिजनों ने इस बात को स्वीकार किया है कि वो एक दूसरे से काफी प्रेम करते थे । कई बार घरवालों ने समझाया भी था लेकिन चोरी छिपे मिला करते थे । जब पहरा ज्यादा बढ़ा और शादी तय हो गई तो दोनों इस दुनिया को छोड़ चले ।

इसी तरह का एक मामला दिसंबर 2018 के आखिरी हफ्ते में आया था । प्रेमी जोड़ा शादी करना चाहता था लेकिन घरवाले तैयार नहीं थे । फिर क्या था दोनों जहर खाकर सड़क पर निकल पड़े । जहर का असर बढ़ा तो दोनों अस्पताल की ओर भागे लेकिन लड़खड़ाते पैरों से दोनों ने जिंदगी की दूरी वक्त रहते नहीं तय कर पाए और इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई । अयोध्या में भी उसी दिन एक प्रेमी जोड़े का शव पेड़ से लड़कते मिला । ऐसी दर्जनों कहानियां हैं जहां जज्बात में आकर प्रेमी जोड़ों ने साथ साथ मरने का फैसला किया क्योंकि समाज उन्हें साथ जीने का हक नहीं दे रहा था । समाज और प्रेमी जोड़ों के जज्बात की टकराव में प्यार करने वालों को ही मरना पड़ा ।

नए साल पर एक स्टडी में दावा किया गया है कि प्यार का रिश्ता ड्रग्स की तरह दिमाग पर असर डालता है । ‘स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी’ के शोधकर्ताओं ने स्टडी में 15 लोगों को शामिल किया, जिसमें 8 लड़कियां और 7 लड़के हैं । इन सभी 15 लोगों को उनके पार्टनर का फोटो दिखाते हुए, उनके हाथ पर हल्के से दर्द का एहसास कराया. इसके साथ ही स्टडी में शामिल सभी लोगों के दिमाग की ‘फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग मशीन’ से जांच की गई । इसके साथ ही सभी से उनकी हथेली में दर्द के बारे में पूछा गया । विशेषज्ञों ने नतीजों मे पाया कि

जहर खाकर सड़क पर निकले प्रेमी जोड़े की तस्वीर। इलाज के दौरान मौत ।

पार्टनर की फोटो देखने के बाद लोगों पर पेनकिलर खाने जितना ही असर हुआ। इसके अलावा नतीजों में यह भी सामने आया कि इससे दिमाग के उसी हिस्से पर असर पड़ा, जिसपर ड्रग्स लेने के बाद होता है। शोधकर्ताओं ने ये भी बताया कि पार्टनर का फोटो देखने से लोगों को तेज दर्द का एहसास 12 फीसदी तक कम हुआ। वहीं, हल्के दर्द का एहसास 45 फीसदी कम हुआ । इसको गहराई से समझने के लिए कई दूसरी एक्टिविटीज कर के देखने की कोशिश की। इसके लिए विशषज्ञों ने स्टडी में शामिल लोगों को सिंपल मैथमेटिकल प्रॉब्लम देकर उनका ध्यान हटाकर दर्द के एहसास को कम करने की कोशिश की। नतीजों में देखा गया कि ध्यान हटाने से लोगों को दर्द का एहसास तो कम हुआ लेकिन इसका असर लोगों पर अलग तरीके से हुआ। यानी जिस तरह से ड्रग्स लेने के बाद इंसान होश खो देता है या दर्द में तड़पने लगता है, प्यार में पड़े नौजवान की हालत भी वैसी ही होती है । शिक्षाशास्त्र भी यही कहता है । इस स्थिति से निपटने के लिए शिक्षामनोविज्ञान सबसे कारगार साबित होता है । समाज के उन लोगों को जो प्यार के दुश्मन बन जाते हैं और अपने बच्चों को मौत की ओर ढकेल देते हैं उन्हें इस बात को समझने की जरूरत है साथ ही अपने बच्चों के साथ व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत है। वहीं नौजवानों को भावनाओं के भंवर से निकलने के रास्ते तलाशने होंगे… क्योंकि मौत कोई विकल्प नहीं है… साथ रहो या दूर जिंदगी रहेगी तभी सारी समस्याओं का समाधान खोजा जा सकता है और प्यार रूपी बीमारी का इलाज किया जा सकता है।


एस के यादव, टीवी पत्रकार