पशुपति शर्मा
70वें स्वाधीनता दिवस पर लाल किले का प्रांगण प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे भाषण का गवाह बना। ये पीएम मोदी का थोड़ा सा बदले अंदाज वाला भाषण था। पीएम समावेशी राजनीति का चेहरा लेकर सामने आए थे। वो पूरे देश को एकजुट होकर आगे बढ़ने की बात करते दिखे। इस बार के भाषण में उन्होंने जहां लोकतंत्र की दुहाई देते हुए विरोधी राजनीतिक दलों को साथ लेकर चलने की बात कही तो वहीं अब तक की सरकारों के कामकाज की निरंतरता को देश के लिए जरूरी बताया। वो टकराव की जगह समाज और राष्ट्र को एक साथ आने की अपील करते दिखे।
पीएम के राजनीतिक मोर्चे पर बदले सुर को हम बजट सत्र के संसदीय गतिरोध और मानसून सत्र में जीएसटी पर दिखी एकजुटता के संदर्भ में भी देख सकते हैं। इसी तरह सामाजिक समरसता पर उनके बार-बार जोर दिए जाने को दलित और अल्पसंख्यक मुद्दों पर हिंसात्मक घटनाओं के संदर्भ में देखा जा सकता है। पीएम ने एक तरफ रामानुजाचार्य का जिक्र करते हुए अहिंसा का पाठ पढ़ाया तो वहीं ज्वलंत मुद्दों से टकराने की अपनी प्रवृत्ति भी रेखांकित की। गौरक्षकों को जिस तरह से हाल के दिनों में पीएम मोदी ने फटकार लगाई, वो मोदी के ‘सीधे टकराने’ वाली स्टाइल का ही नमूना है।
प्रधानमंत्री ने लालकिले के मंच से सुराज का संकल्प दोहराया। सुराज का मतलब- देश के हर नागरिक के जीवन में बदलाव लाना। सुराज का मतलब- हर सामान्य व्यक्ति के प्रति संवेदनशीलता। उन्होंने सरकार और शासन की सक्रियता के साथ-साथ संवेदनशीलता पर जोर दिया। पीएम मोदी ने लाल किले के प्राचीर से सरकार की उपलब्धियों का बखान किया। उन्होंने ये स्वीकार किया कि मौजूदा सरकार पर जनता की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं का जबरदस्त दबाव है और वो हर मोर्चे पर उसे पूरा करने की जी-तोड़ कोशिश करते रहेंगे।
94 मिनट के सबसे लंबे भाषण के जरिए प्रधानमंत्री ने जनता के सामने अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने नीति के साथ साफ और स्पष्ट नीयत से किए जा रहे अपने काम का बखान किया। अपने चिर-परिचित अंदाज में मोदी कई जुमलों से अपना भाषण आगे बढ़ाते रहे। उन्होंने कहा- ‘सुदर्शनधारी मोहन’ से ‘चरखाधारी मोहन’ तक की यात्रा है हमारे देश की कहानी।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत उन मुद्दों से की, जो सीधे-सीधे जनता से जुड़ते हैं। उन्होंने कहा कि पहले 1 मिनट में 2 हज़ार रेल टिकट बुक होती थी, लेकिन अब एक मिनट में 15 हज़ार रेल टिकट बुक किया जाना मुमकिन हो गया है। इस साल सरकार ने पौने 2 करोड़ पासपोर्ट देने का काम किया है। 60 साल में कांग्रेस ने 14 करोड़ गैस कनेक्शन दिए तो खुद मोदी सरकार में 60 हफ्तों में 4 करोड़ गैस कनेक्शन देने का दावा भी पीएम ने किया। ऑनलाइन टैक्स रिफंड की सुविधा वाकई एक बड़ा सुधार है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने फिजूल के 1700 क़ानूनों को निरस्त करने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई। इस कड़ी में अब तक पौने पांच सौ कानून निरस्त किए जा चुके हैं।
इसी तरह उन्होंने एम्स में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को अपनी बड़ी उपलब्धि बताया। हालांकि शायद प्रधानमंत्री की कोर टीम ने अभी देश के सबसे बड़े अस्पताल की मुसीबतों से उन्हें अवगत नहीं कराया है। अभी भी एम्स में डॉक्टर को दिखाने के बाद मरीजों को महीनों टेस्ट के लिए अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते हैं। शायद प्रधानमंत्री को इस बात का भी एहसास नहीं कि इस भागमभाग में कई टेस्ट ऐसे हैं, जिन्हें ज्यादातर मरीज बाहर से करा लेना ही उचित समझते हैं। जिनके पास पैसे न हों उन्हें अल्ट्रासाउंड जैसे मामूली टेस्ट के लिए भी कई बार हफ्तों बाद की तारीख दे दी जाती है। किडनी ट्रांसप्लांट के मरीजों और डोनर को भी सारे टेस्ट कराने में महीनों का वक्त लग जाता है। उन मरीजों के साथ भी कोई मुरव्वत नहीं होती जो दूर दराज के इलाकों से दिल्ली केवल इलाज के लिए आते हैं। डॉक्टरों और मैनेजमेंट के लोग भी ज्यादातर मौकों पर अपनी बेबसी जाहिर कर जाते हैं। सरकार और शासन की जिस संवेदनशीलता की बात प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं, वो ऐसे अस्पतालों में प्राथमिकता से नज़र आनी चाहिए। ये बात मैं इसलिए भी कह पा रहा हूं क्योंकि मेरा परिवार स्वयं एम्स की इस भागमभाग से बावस्ता है।
ये एक अच्छी बात है कि दिल्ली में बैठे हुक्मरानों को इस बात का एहसास हो चला है कि 70 साल में देश के नागरिक का मन बदल गया है। अब देश का नागरिक योजनाओं की घोषणाओं से खुश नहीं होता। शिलान्यास से खुश नहीं होता। वो ज़मीनी धरातल पर काम होते देखना चाहता है। उन्होंने सरकारी अधिकारियों से अपील की कि वो अपने काम की रफ़्तार बढ़ाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब तक 10 हजार गांवों में बिजली पहुंचाई गई। दिल्ली से 3 घंटे दूर हाथरस के नदलाफटेला गांव में 70 साल बाद बिलजी पहुंची। पीएम ने किसान भाइयों को विशेष रूप से धन्यवाद दिया। सरकार ने दाल के समर्थन मूल्य को बेहतर किया है, जिसके जवाब में किसानों ने किसानों ने दाल की बुआई को डेढ़ गुना किया है। जमीन की सेहत के लिए स्वॉयल हेल्थ कार्ड, और किसानों के आर्थिक सुरक्षा चक्र के लिए फ़सल बीमा योजना को एक सही कदम करार दिया। 99.5 फीसदी गन्ना किसानों का बकाया सरकार ने चुकाया है। किसानों के लिए इनाम नाम का ऑनलाइन सिस्टम शुरू किया।
इसके साथ ही ऊर्जा की बचत के लिए सरकार ने अब तक 13 करोड़ LED बल्ब बांटे हैं। सरकार ने 77 करोड़ एलईडी बल्ब बांटने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने 350 रुपये का LED बल्ब 50 रुपये में बांटा है। इससे होने वाली बिजली बचत का फायदा देश के खजाने में पहुंचेगा। प्रधानमंत्री ने महंगाई का जिक्र तो किया लेकिन इस मोर्चे पर वो रक्षात्मक नज़र आए। उन्होंने इशारा किया कि दो साल के अकाल की वजह से क़ीमतें उस तरह से कंट्रोल में नहीं रह पाईं, जिसकी वो उम्मीद लगा रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने मुद्रास्फीति को 6 फ़ीसदी के करीब सीमित रखने को अपनी उपलब्धि के तौर पर गिनाया। उन्होंने कहा कि आरबीआई के साथ करार किया गया है कि वो मुद्रास्फीति को चार फ़ीसदी तक लाने की दिशा में काम करें। हालांकि उन्होंने 2 फ़ीसदी के उतार चढ़ाव की गुंजाइश छोड़ दी है। गरीब की थाली महंगी नहीं होने देने का जुमला भी पीएम ने उछाला।
रियल एस्टेट बिल लाकर मध्यवर्ग को भी मकान के सपने को सच करने की बात पीएम ने कही। यहां एक बार फिर भाषण में होमवर्क की कमी नज़र आई। प्रधानमंत्री को शायद नहीं मालूम कि अभी तक दिल्ली से सटे नोएडा एक्सटेंशन के 6-7 साल पुराने प्रोजेक्ट्स अधूरे पड़े हैं। उनका सारा सरकारी सिस्टम उस मध्यवर्ग की मुसीबतों का एहसास नहीं कर पा रहा है, जो इस देरी की भारी क़ीमत चुका रहे हैं। कैसे प्रोजेक्ट की देरी से ईएमआई और रेंट की दोहरी मार ये वर्ग झेल रहा है, इसे समझने के लिए जो संवेदनशीलता इस तंत्र में होनी चाहिए वो कहीं नज़र नहीं आ रही।
सबसे बड़ी स्वीकारोक्ति पीएम की ये रही कि लोकतंत्र में अहंकार नहीं चलता। पिछली सरकार के कामों को आगे बढ़ाना बेहद ज़रूरी है। प्रधानमंत्री ने एकता का मंत्र दोहराया। कहा- यहां 100 से ज्यादा भाषाएं हैं और हजारों बोलियां है, यही बड़ी विरासत है। साथ ही उन्होंने हिंसा की डगर पर आगे बढ़ चुके नौजवानों से वापसी की अपील की। आतकंवाद की राह पर जाने वालों को आखिर में कुछ नहीं मिला। हिंसा और अत्याचार की हमारे देश में कोई जगह नहीं है। उन्होंने संकल्प दोहराया कि यह देश आतंकवाद और माओवाद के सामने नहीं झुकेगा।
प्रधानमंत्री ने सीधे तौर पर पाकिस्तान का जिक्र तो नहीं किया लेकिन कहा कि पड़ोसी मुल्कों को ग़रीबी से लड़ने की ओर ध्यान देना चाहिए। कहा, अगर पड़ोसी भी गरीबी से मुक्त होगा तो हम खुश होंगे। बलूचिस्तान, गिलगित के लोगों और उनकी लड़ाई का जिक्र कर मोदी ने दुनिया को पाकिस्तान का चेहरा दिखलाया।
पशुपति शर्मा ।बिहार के पूर्णिया जिले के निवासी हैं। नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से संचार की पढ़ाई। जेएनयू दिल्ली से हिंदी में एमए और एमफिल। पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। उनसे 8826972867 पर संपर्क किया जा सकता है।