कटरा को सांसद गोद तो लिए हैं लेकिन ‘आदर्श’ कुछ भी नहीं है !

कटरा को सांसद गोद तो लिए हैं लेकिन ‘आदर्श’ कुछ भी नहीं है !

आशीष सागर दीक्षित

केंद्र में बीजेपी की सरकार आई तो प्रधानमंत्री मोदी ने देश के गाँवो को बड़ा सपना दिखाया। उन्होंने अपने साथ-साथ सभी निर्वाचित सांसद के लिए निर्वाचन क्षेत्र के दो गाँव गोद लेने की योजना बनाई। इस बहुउद्देशीय केन्द्रीय कार्यक्रम को ‘आदर्श सांसद ग्राम योजना’ कहा गया। भारत सरकार की ग्रामीण विकास मंत्रालय की अधिकारिक वेबसाइट में देश के सभी दूरस्थ गाँवो में ये सांसद आदर्श गाँव खरे मानकों के साथ चस्पा हैं। स्वयं पीएम मोदी ने काशी-बनारस के जैतापुर गाँव को गोद लिया है और उसका कायाकल्प भी किया। आज उस गाँव में गरीबों को सुन्दर आवास, बिजली, पानी, ईंधन की सुविधा मुहैया कराई गई है। यह अलग बात है कि काशी की मुसहर जाति की गरीब,दलित बस्ती में आज भी उजाला नहीं पहुंचा है।
बड़े शोरगुल के साथ शुरू की गई इस योजना का आज शायद ही निर्वाचित सांसद पुरसाहाल ले रहे हों। सब कुछ कागज में चकमक है या बिलकुल भी नहीं है। यूपी बुन्देलखण्ड के चित्रकूट मंडल के जिला बाँदा की नरैनी तहसील के कालिंजर दुर्ग स्थित कटरा गाँव को चित्रकूट-बाँदा सांसद भैरोप्रसाद मिश्रा ने गोद लिया है। जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर पन्ना-बाँदा हाइवे मार्ग में कटरा गाँव ऐतिहासिक स्थल है। इसके साथ ही वे कर्वी-चित्रकूट के हन्ना बिनैका गाँव को भी गोद लिए हैं। नरैनी के कटरा गाँव को इस मायने में भी महत्वपूर्ण समझा जा सकता है कि यदि इसको आदर्श गाँव में बदल दिया जाए तो पर्यटन की नज़र से खास चन्देल कालीन करीब हजार साल से पहले का निर्मित कालिंजर दुर्ग स्थानीय रहवासियों की आजीवका का केंद्र बन सकता है।
सूत्र बतलाते है कि कालिंजर किले में 800 राजाओं की क्रीड़ास्थली रही है। इसमें चन्देल राजा विद्याधर, पृथ्वीराज चौहान, महमूद गजनी, बादशाह अक़बर, औरंगजेब, शेरशाह सूरी, हुमांयू आदि अपना शौर्य दिखा सके लेकिन इस किले को जीत सिर्फ शेरशाह सूरी ही सका। यह उसके लिए इतना घातक साबित हुआ कि उसको अपने प्राण देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ी। कटरा ग्राम पंचायत इस पहाड़ी किले की प्राचीर के नीचे बसी है। सांसद आदर्श गाँव में गोद लेते वक्त गाँव वालों ने सपना देखा था कि अब उनके भी दिन बहुर जायेंगे,अच्छे दिन आएंगे। बीजेपी की केंद्र सरकार को तीन साल होने को है लेकिन यह कटरा गाँव आज भी आदर्श नहीं बन सका है।
कटरा में मूलभूत सुविधा का अभाव है। तीन हजार की आबादी वाले सांसद आदर्श गाँव कटरा में यूपी सरकार की तमाम योजना पंचायती राज के माध्यम से चलती हैं, जैसे अन्य गाँव में। साथ में अब तो यह वीआईपी श्रेणी का आदर्श गाँव भी है! इस गाँव में विकास के नाम पर मुख्य मार्ग में सीसी सड़क, बिजली, आंशिक पानी, एक प्राथमिक- एक जूनियर स्कूल, पीएचसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय अधिकृत जन शिक्षण संस्थान की एक शाखा खुली है। जेएसएस का कार्यालय खुलते गाँव वालों ने नहीं देखा। इसका मकसद गाँव के किशोर-किशोरी को रोजगार उन्मुख प्रशिक्षण देना है। यहाँ हाल ही में 1800 मतदाता ने इस यूपी चुनाव में मत डाला है।
तीन साल हुआ सांसद जी को गाँव गोद लिए। इस बीच वे गाहे-बगाहे गाँव आये और वापस चले गए। आदर्श गाँव का बोर्ड भी गाँव में नहीं लगा है। उन्होंने हाल ही में यूपी चुनाव को देखते हुए 10 बोर करवा दिए लेकिन अभी उनसे पानी नहीं निकला है। चुनाव बाद आचार संहिता हटेगी तो शेष कार्य किया जायेगा। अपनी सांसद निधि से उन्होंने गाँव को आर्थिक मदद नहीं दी है। ऐसा ही कुछ चित्रकूट के गोद लिए गाँव हन्ना बिनैका के साथ हुआ है। 
कटरा गाँव की रहने वाली विधवा मनकी कुशवाहा (उम्र 65 वर्ष) कहती हैं कि पति को मरे दो साल हो गए, एक बेटा आनंदी और बहु रेखा है। 6 बीघा परती जमीन है, छोटे नाति का पेट पालने के लिए सयाना बेटा दिल्ली चला गया है। उन्हें पेंशन नहीं मिलती, घर में शौचालय नहीं है, मनकी का कच्चा घर उसके अच्छे दिन की बात कहता है। गाँव के बेटालाल कुशवाहा (उम्र 60 वर्ष) ने बतलाया कि गाँव में 150 बुजुर्ग आज भी पेंशन से बेदखल हैं। आगे चलने पर इसी गाँव के बाबू बतलाते हैं- मेरे तीन लड़के हैं। गाँव में रोजगार नहीं है तो पंजाब गए है ईट-भट्टे में काम करने नहीं जायेंगे तो भोजन कौन देगा ? वे कहते है गाँव से लगभग 1000 युवा काम की तलाश में बाहर ही रहते हैं। 
रोजगार के अभाव में गाँव से हो रहा बेतहाशा पलायन देखकर युवाओं के हाल को समझा जा सकता है। उन्मेद कहते हैं- गाँव में बरात घर नहीं है, शादी-ब्याह में सबको दिक्कत होती है। पहले सब आपस में सहयोग करते थे पर अब समय वैसा नहीं रहा। गाँव का सफाईकर्मी कभी आ जाये तो बड़ी बात है। किसानों के सामने सबसे अहम समस्या पानी की है, यहाँ की ज्यादातर खेती परती है, बारिश ही एकमात्र चारा है। साल 2012 में इस गाँव के लिए 82 शौचालय स्वीकृत हुए थे जो कागज में बनकर रह गए।आज 3200 रूपये के शौचालय पर 12000 रूपये दिए जा रहे हैं, बावजूद इसके गाँव में हर घर को शौचालय नहीं मिल सका है. इसकी जाँच मंडल आयुक्त के पास आज भी लंबित है।

सांसद आदर्श गाँव कटरा को अगर रोजगार के लिए ही सही पर्यटन हब में तब्दील कर दिया जावे तो यहाँ की तस्वीर बदल जाएगी। इस गाँव से लगे दुर्ग कालिंजर के चारों तरफ पर्यटन स्थल हैं- मसलन चित्रकूट, पन्ना टाइगर रिजर्व, झाँसी दुर्ग और खजुराहो। नरैनी से कालिंजर-पन्ना मार्ग की जर्जर हालत बहुत कुछ बयान करती है कि विदेशी तो छोड़िये अगर स्थानीय लोग भी दुर्ग देखने आयें तो उन्हें कमर के दर्द सहने को तैयार रहना चाहिए। कालिंजर दुर्ग के ऊपर आपार हर्बल मेडसिन (दवा) उपलब्ध है, जो ग्रामीणों के लिए आजीवका का साधन बन सकती है। दुर्ग में स्थित प्राचीन नीलकंठ का मंदिर, कोटितीर्थ सहित तीन बड़े तालाब, मृग धारा, अन्य बर्बाद होते महल जो दस किलोमीटर के दायरे में फैले हैं। ये सम्पदा कटरा की किस्मत बदलने को काफी है।


ashish profile-2बाँदा से आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष सागर की रिपोर्ट। फेसबुक पर एकला चलो रेके नारे के साथ आशीष अपने तरह की यायावरी रिपोर्टिंग कर रहे हैं। चित्रकूट ग्रामोदय यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। आप आशीष से [email protected] पर संवाद कर सकते हैं।


अपेक्षित सहयोग- वैयक्तिक (500 रुपये)/सपरिवार (1000 रुपये)। [email protected]