बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए हर माता-पिता चिंतित रहते हैं । अपने हिसाब से सब बेहतर करने की कोशिश करते हैं । नतीजा बच्चों से उम्मीदें ज्यादा रहती हैं और वो चाहते हैं कि जैसा कहें वैसा ही उनका बेटा या बेटी करें । पिछले दिनों एक खबर ने हम सभी को हिलाकर रह दिया क्योंकि महज पीटीएम के बाद पैरेंट्स की डांट से कई बच्चे घर से भाग गए । आखिर इसकी क्या वजह है, क्या बच्चों और पैरेंट्स में संवाद नहीं हो पा रहा या फिर दोनों एक दूसरे की भावनाओं को समझ नहीं पा रहे या फिर हम अपनी इच्छाएं बच्चों पर थोपते जा रहे हैं । इन्हीं तमाम सवालों की तलाश के लिए badalav.com और ढाई आखर फाउंडेशन ने मिलकर बच्चों के मन को टटोलने और अभिभावकों की अपेक्षाओं में तालमेल की कमी को समझने के लिए कैसे करें बच्चों के मन की बात कार्यक्रम का आयोजन किया है । गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर -6 में होने वाले इस कार्यक्रम में मनोचिकित्सक और कई दूसरे डॉक्टर मौजूद रहेंगे इसके अलावा शिक्षाविद, समाजसेवी, वरिष्ठ पत्रकार समेत तमाम अभिभावक और बच्चों की मौजूदगी भी रहेगी । जिसमें बच्चे अपने मन की बात खुलकर कह सकते हैं । अभिभावक पर पैनलिस्ट से खुलकर सवाल कर सकते हैं जिससे इस बात का पता चल सके कि आखिरी बच्चों के मन में क्या चलता है ।
बच्चों से क्या चाहते हैं मां-बाप ?
1- मां-बाप खुद बच्चों का भविष्य तय करने की कोशिश करते हैं । इसमें वो बच्चों की राय ज्यादा मायने नहीं रखते । उन्हें लगत है कि उनके बच्चे अभी खुद का रास्ता तय नहीं कर सकते ।2- बचपन से जो रास्ता दिखाते हैं उसी रास्ते पर अपने बच्चों को देखना चाहते हैं । थोड़ा भी इधर उधर होने पर नाराज हो जाते हैं । कभी-कभी हिंसक भी ।3- अपने सपनों को बच्चों के जरिए पूरा करने की कोशिश करते हैं । अगर कोई मां-बाप क्रिकेटर नहीं बन पाया तो बच्चों को क्रिकेटर बनाने की कोशिश करते हैं भले ही उनक बेटा फुटबाल में अच्छा प्रदर्शन करता हो ।4- 10वीं-12वीं के बाद जब बच्चे बाहर निकलते हैं तब भी मां-बाप उन्हें अपने हिसाब से गाइड करने की कोशिश करते हैं । उनकी संगत से लेकर खान-पान और पहनावे को लेकर भी टोका टाकी करते रहते हैं ।5- बच्चे बिगड़ ना जाए इसलिए तरह तरह की हिदायतें, सीख के पीछे धमकी देते रहते हैं । जैसे ऐसा नहीं करोगे तो खर्चा कम कर दूंगा, पढ़ाई छुड़वा दूंगा इत्यादि इत्यादि ।6- यहां तक की बच्चों को सब्जेक्ट चयन करने के दौरान भी दबाव दिया जाता है । हालांकि सलाह की जरूरत होती है लेकिन कभी कभी कई मां-बाप अपनी मर्जी थोपकर सब्जेक्ट लेने पर मजबूर कर देते हैं । नतीजा बच्चों को पढ़ाई में मन नहीं लगत है और वो अवसाद के शिकार हो जाते हैं ।7- ज्यादा नंबर लाने के लिए भी कई मां-बाप बच्चों पर ज्यादा जोर डालते हैं । ऐसी स्थिति में वो चाहते हैं कि बच्चे 24 घंटे पढ़ते रहें । ऐसे में बच्चों की सेहत पर असर होता है ।8- अपनी खुशियों के लिए अक्सर कई पैरेंट्स बच्चों की खुशियों को जानने की कोशिश नहीं करते ।9- हमेशा अव्वल आने की उम्मीद पर पाल बैठते हैं ।10- मां-बाप की बच्चों से सबसे बड़ी उम्मीद यही रहती है कि उनके बच्चे उनकी नजर में हमेशा परफेक्ट बने रहें ।
इन्हीं सवालों की तलाश के लिए गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर -6 में होने वाले इस कार्यक्रम में मनोचिकित्सक और कई दूसरे डॉक्टर मौजूद रहेंगे इसके अलावा शिक्षाविद, समाजसेवी, वरिष्ठ पत्रकार समेत तमाम अभिभावक और बच्चों की मौजूदगी भी रहेगी । जिसमें बच्चे अपने मन की बात खुलकर कह सकते हैं । अभिभावक पैनलिस्ट से खुलकर सवाल कर सकते हैं जिससे इस बात का पता चल सके कि आखिरी बच्चों के मन में क्या चलता है, क्योंकि बच्चे भी अपने मां-बाप से बहुत उम्मीदें रखते हैं । अगर उन उम्मीदों के मुताबिक व्यवहार नहीं होता है तो बच्चों पर काफी असर पड़ता है ।
मां-बाप से क्या चाहते हैं बच्चे ?
1- मां-बाप उनकी हर फरमाइश पूरी करें ।2- खेल कूद के दौरान टोका टोकी ना करें ।3- दोस्तों के साथ घुमने पर पाबंदी ना लगाएं ।4- पढ़ाई के लिए ज्यादा जोर ना दें ।5- सब्जेक्ट चयन में भी अपनी प्राथमिकता चाहते हैं ।6- कभी-कभी स्कूल चयन को लेकर भी मां-बाप से अलग राय रखते हैं और अपने पसंदीदा स्कूल में जाने के लिए जिद्द करने लगते हैं ।7- कपड़े पहनने और घुमने के भी आजादी चाहते हैं ।8- मां-बाप का सपना पूरा करना चाहते हैं लेकिन वो अपने तरीके से ।अगर ऐसा नहीं होता है तो चिड़चिड़े स्वभाव के हो जाते हैं ।9- बच्चे चाहते हैं कि उनके मां-बाप उनकी बातों को तरजीह दें ।10- दोस्तों के बीच किसी गलती का जिक्र ना करें और ना ही डांटे ।
हम आप सभी एक अभिभावक है, लिहाजा हमसभी की चिंता एक जैसी ही है, क्योंकि आज नहीं तो कल हम सभी को इन सवालों से दो-चार होना पड़ेगा । तो आइए मिलकर इन सवालों का समाधान तलाश करें ।