पिछले दिनों महिला टी-20 वर्ल्ड कप का ऐलान हुआ तो यूपी के जौनपुर जिले में खुशी की लहर दौड़ पड़ी, क्योंकि जौनपुर के लिए ये दोहरी खुशी का मौका था। जौनपुर की दो बेटियों ने भारतीय महिला टी-20 वर्ल्ड कप की टीम में जगह बनाने में कामयाबी हासिल की।
ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप में एक तरफ चंदवक के मचहटी गांव की रहने वाली शिखा पांडे ने जगह बनाई तो वहीं मड़ियाहू ब्लॉक में पड़ने वाले अजोसी गांव की राधा यादव ने दूसरी बार वर्ल्ड कप टीम में जगह बनाई है। 19 साल की राधा यादव एक ऑल राउंडर खिलाड़ी हैं। उनकी मेहनत और खेलने की कला से 2017 में चयनकर्ता काफी प्रभावित हुए और उनको अंतराराष्ट्रीय टीम में जगह मिली। राधा यादव को क्रिकेट से लगाव कैसे हुआ और टीम-20 तक का उनका सफर कैसा रहा, गली-मोहल्ले में लड़कों के साथ बैट-बॉल खेलने वाली एक साधारण सी दिखने वाली लड़की ने इतनी बड़ी उपलब्धि कैसे हासिल की, इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए टीम बदलाव के साथी अरुण ने राधा यादव के पिता ओम प्रकाश यादव से बात की।
बदलाव- बेटी के टी-20 वर्ल्ड कप में चयन की ख़बर जब पहली बार मिली तो परिवार की प्रतिक्रिया क्या थी ?
राधा के पिता- हम अपने सपने को सच होता देख रहे थे, मुझे पहले से ही यकीन था कि एक ना एक दिन बेटी देश के लिए जरूर खेलेगी और वो सपना सच हुआ तो हर कोई खुश था। आंखों में खुशी के आंसू थे, जुबां पर बेटी की सफलता के लिए दुआएं। हमारी बेटी अपने खेल से देश का नाम रौशन करे, यही भगवान से प्रार्थना है।
बदलाव- राधा का क्रिकेट के प्रति लगाव कब से है ?
राधा के पिता- राधा को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। 7-8 साल की उम्र से ही वो क्रिकेट खेल रही है। बचपन में गली-मोहल्ले में लड़कों के साथ खेलती थी। आसपास के लोग उसके क्रिकेट खेलने पर कभी-कभी सवाल भी उठाते थे लेकिन मैंने उनकी कभी परवाह नहीं की। वैसे हमलोगों का भी क्रिकेट से कोई खास नाता नहीं रहा लेकिन पड़ोस में ही रहने वाले एक कोच ने जब बेटी को देखा तो उन्होंने उसको ट्रेनिंग देने की बात कही और मैं तैयार हो गया ।
बदलाव- राधा के कोच कौन हैं और राधा को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनका कितना योगदान है?
राधा के पिता- ये बात 2006-07 की है। हम लोग मुंबई के बोरीवली के पास महाबीर कॉलोनी में रहते थे। बेटी वहीं गलियों में खेला करती थी, तभी पड़ोस में रहने वाले प्रफुल्ल नाइक ने बेटी को खेलते देखा और हम लोगों से उसे प्रशिक्षण देने की बात कही। बेटी के क्रिकेट प्रेम को देखते हुए हम लोग तैयार हो गए। प्रफुल्ल साहब बोरीवली के शिवसेवा ग्राउंड में बच्चों को क्रिकेट सिखाते थे । 5-6 साल तक बेटी ने वहां ट्रेनिंग ली और स्टेट लेवल तक खेली, लेकिन बाद में कोच ने बेटी को बड़ौदा क्रिकेट संघ से जुड़ने की सलाह दी ।
बदलाव- बड़ौदा कब शिफ्ट हुए और बेटी अभी किस राज्य की ओर से खेलती है ?
राधा के पिता- 2014 में बेटी मुंबई में 8वीं कक्षा में पढ़ती थी। तब उसकी उम्र करीब 14 साल थी। कोच के निर्देश पर बड़ौदा शिफ्ट करने का फैसला किया । मुंबई छोड़ना आसान नहीं था लेकिन बेटी के भविष्य के लिए पुश्तैनी कारोबार को छोड़कर बड़ौदा जाकर रहने लगे। बड़ौदा में ही बेटी ने स्टेट लेवल क्वालिफाई किया और 2015-16 में नेशनल लेवल तक पहुंच गई । इंडिया रेड, ग्रीन और ब्लू सभी टीम का हिस्सा रही। आखिर में 2017-18 में पहली बार उसका टी-20 वर्ल्ड कप के लिए चयन हुआ और देश के लिए खेली लेकिन वर्ल्ड कप जीतने का सपना अधूरा रह गया जिसे वो इस बार जरूर पूरा करेगी।
बदलाव- आपका परिवार यूपी के जौनपुर का रहने वाला है फिर मुंबई कैसे जाना हुआ ?
राधा के पिता- हमारा गांव जौनपुर के मड़ियाहू में पड़ता है। सिकरारा थाना क्षेत्र से बेहद करीब है। दो पीढ़ी से हमारा परिवार मुंबई में ही रहता है, हमारा डेयरी का कारोबार है। ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद 1989 में मैं भी मुंबई चला गया और परिवार के कारोबार का हिस्सा बन गया । बड़ौदा जाने के बाद हमें आजीविका के लिए पान की दुकान खोली, और फिर जनरल स्टोर। राधा का जन्म मुंबई में ही हुआ और वो वहीं पली-बढ़ी है। क्रिकेट में वक्त ज्यादा देने की वजह से उसकी रेगुलर पढ़ाई में काफी परेशानी होती थी, लिहाजा बीच में ब्रेक लेकर हम गांव गए जहां से बाद में राधा ने हाईस्कूल की बढ़ाई पूरी की और एक बार फिर क्रिकेट में सक्रिय हो गई । क्रिकेट में व्यस्तता की वजह से राधा की इंटर मीडिएट की पढ़ाई अधूरी रह गई है ।
बदलाव- उम्मीद है कि आपकी बेटी इस बार देश के लिए वर्ल्ड कप लेकर लौटेगी ।
राधा के पिता- हम भी यही दुआ कर रहे हैं । शुक्रिया ।