टीम बदलाव
23 जनवरी 1977 आपातकाल के बीच देश में जनता पार्टी का गठन हुआ. जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में विपक्ष अपनी ताकत दिखाने के लिए कमर कस चुका था, लेकिन सबसे बड़ा सवाल था कि आखिर इंदिरा को सीधी टक्कर कौन देगा. इंदिरा गांधी उन दिनों दिल्ली से करीब साढ़े 600 किमी दूर उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से चुनाव लड़ा करती थीं. आजादी के बाद रायबरेली नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ बन चुका था. साल 1952 में पहले लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार से फिरोज गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंचे. दूसरी लोकसभा यानी 1957 में भी फिरोज गांधी ने इस सीट से जीत दर्ज की. इंदिरा गांधी पहली बार 1967 में तीसरी लोकसभा के लिए रायबरेली से उम्मीदवार बनीं और जीतीं.
अब तक इंदिरा दो बार रायबरेली से जीत चुकी थीं. ऐसे में जनता परिवार के सामने इंदिरा के खिलाफ उम्मदीवार का चुनाव करना सबसे बड़ी चुनौती थी. काफ़ी मशक़्क़त के बाद आयरन लेडी को टक्कर देने के लिए एक ही चेहरा नजर आया- और वो था राजनारायण का. छोटे कद काठी वाले राजनारायण एक जुझारू समाजवादी नेता थे और वो इंदिरा गांधी को 1971 में रायबरेली से चुनावी टक्कर भी दे चुके थे. हालांकि उस दौरान वो इंदिरा से पराजित जरूर हुए लेकिन हार नहीं मानी और उस चुनाव को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी. फैसला राजनारायण के पक्ष में आया.
1975 में चुनाव रद्द करने के आदेश से इंदिरा बौखला गईं और देश को इमरजेंसी की आग में झोंक दिया. ऐसे में जनता पार्टी ने राजनारायण को 1977 में दोबारा इंदिरा के खिलाफ चुनाव लड़ाने का फैसला किया. इस बार हालात अलग थे. इमरजेंसी की वजह से इंदिरा के खिलाफ लोगों में काफी आक्रोश था. नतीजा ये हुआ कि राजनारायण ने इंदिरा को इस चुनाव में धूल चटा दी…और आयरनलेडी अपने ही गढ़ में चुनाव हार गई.
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https://www.youtube.com/watch?v=XgbZjr_AC9E
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