अवाम का सिनेमा
- स्विट्जरलैंड, फ्रांस और इटली के फिल्मकारों ने दर्ज की मौजूदगी
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अयोध्या को मिली पहचान, फिल्मकारों ने तलाशी संभावना
अयोध्या : 18 वें वर्ष के अयोध्या फ़िल्म फेस्टिवल के आयोजन का समापन भले ही नौ दिसंबर को हो गया लेकिन अंतरराष्ट्रीय फलक ने अयोध्या को दैदीप्यमान आयोजन के माध्यम से करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तीन दिवसीय आयोजन में जहां दर्जन भर से अधिक फिल्मों का प्रीमियर हुआ तो वहीं कई सत्रों में साहित्य सिनेमा और कला के सरोकारों से आयोजन ने ऊंचाइयां हासिल कीं।
देश दुनिया के फिल्मी जगत के सितारों ने ’अयोध्या फिल्म फेस्टिवल’ के 18 वें संस्करण में अवध की शाम में मानो चार चांद लगाए तो दर्शकों ने भी फिल्म के पीछे की मेहनत को करीब से समझा। फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन गुरुनानक अकादमी इंटर कालेज सभागार में तीन सत्र के आयोजन में दर्शकों ने देश दुनिया से आए कलाकार और निर्देशकों से साक्षात्कार किया और फिल्मों के पीछे की दुनिया से भी अवगत हुए।
आयोजन के दौरान विभिन्न सत्र में फिल्म वर्कशॉप के दौरान फिल्म मेकिंग सत्र में फिल्मों के बेसिक्स, निर्माण आदि के बारे में विशेषज्ञों ने मंच से दर्शकों को अवगत कराया।
स्विटजरलैंड के फिल्म निर्माता निर्देशक और अभिनेता उवे श्वार्जवेल्डर ने विदेश में फिल्म निर्माण की बारीकियों को सिखाया। पेरिस के निर्देशक जेरेमी ब्रुनेल और इटली के आंद्रिया फोर्टिस और डा. मोहन दास ने भी फिल्म निर्माण और चुनौतियों और तकनीकी पक्ष पर सत्र के दौरान चर्चा की।
बांग्लादेश के हालात से विदेशी फिल्मकार चिंतित
उवे श्वार्जवेल्डर का अयोध्या के बाद जयपुर होते हुए ढाका जाने का प्रोग्राम था मगर वहां के हालात से चिंतित हैं। वहां जाकर फिल्मों की संभावनाओं पर काम करना था मगर हालात में सुधार नहीं हुआ तो दौरा रद करने पर भी विचार कर रहे हैं।
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अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के समापन समारोह में सोमवार को फिल्मों के प्रदर्शन के साथ ही अवार्ड वितरण भी हुआ। फिल्म समारोह के समापन के दौरान विदेशी फिल्मकार भी अयोध्या में अपने स्वागत सत्कार से अभिभूत नजर आए। फिल्म निर्माण की संभावनाओं की विभिन्न स्थलों पर भ्रमण कर पड़ताल भी की। विभिन्न सत्रों के दौरान फिल्मों पर परिचर्चा भी हुई तो अगले वर्ष दोबारा फिल्मों का मेला सजाने के वादे के साथ फिल्म फेस्टिवल ने वर्ष भर के लिए विराम पाया।
गुरुनानक अकादमी सभागार में सुबह से ही फिल्मों का मुहूर्त और प्रदर्शन का दौर शाम तक चलता रहा। समारोह के दौरान तीन दिवसीय आयोजन में शामिल लोगों को सम्मानित भी किया गया।
आयोजन के अंतिम दिन बिमल कुमार अग्रवाल, निर्माता
रघुनाथ मानेट, लेखक, अभिनेता और निर्देशक, पेरिस।
स्वेता कुमार दाश, लेखक, निर्देशक, भुवनेश्वर।
शक्ति मिश्र, अभिनेता।
डॉ अंकित पाठक, राजनीति विज्ञान, इलाहाबाद इलाहाबाद और प्रो. शाह अयाज सिद्दीकी शामिल रहे। वहीं प्रो. मोहन दास ने मंच संचालन और अतिथि परिचय कराया।
अयोध्या एक जीवंत शहर है। यह फिल्मी दुनिया से अछूता रहा है तो यहां की छिपी परिस्थितियां सिनेमा का हिस्सा हो सकती हैं। मुझे फिल्म मेकिंग की संभावनाओं के हालात काफी बेहतर लग रहे हैं। लोगों का सहयोग, लोकेशन, नदी, मंदिर रेत, सुविधाएं सब कुछ हैं। मैं निजी तौर पर यहां फिर आना चाहूंगा। हॉलीवुड की नजरें भी अयोध्या पर इस आयोजन के माध्यम से पड़ी हैं तो आने वाला कल इस शहर का काफी शानदार होना तय है।
–उवे श्वार्जवेल्डर, ज्यूरिक, स्विटजरलैंड
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अयोध्या आया तो राम बारात में भी शामिल होने का मौका मिला। धार्मिकता और आध्यात्मिकता के बीच आधुनिकता का यह मेल इस शहर को अनोखा बनाता है। सपनीली दुनिया से यह अछूता रहा है तो निश्चित ही भविष्य में यहां पर फिल्मों की शूटिंग और फिल्मी दुनिया के यहां के लोकेशन से जुड़ाव भी होना तय है। फिल्म फेस्टिवल जैसा आयोजन हुआ तो ही यहां आना और जुड़ना हो सका है।
–आंद्रिया फोर्टिस, निर्माता निर्देशक, इटली
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अयोध्या सिटी में आने का मेरा पहला अनुभव है। आयोजन से जुड़कर अच्छा लगा। अयोध्या में धर्म अध्यात्म और शिक्षा के साथ बहुत कुछ नया हो रहा है। फिल्म ‘ मिरारी’ को लेकर फ्रांस से अयोध्या आया हूं। दर्शकों की प्रतिक्रिया उत्साहित करने वाली है। फेस्टिवल में लैटिन भाषा में बनी फिल्म ने दर्शकों को रिझाया यह हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है। बॉलीवुड और हॉलीवुड का जुड़ाव दोनो ही फिल्म उद्योग के हित में है। यूरोप से भारत काफी अलग है, अलग नेचर की फिल्म बनती हैं। यहां की फिल्मों में गीतों में अनोखापन है। अयोध्या विदेश में अधिक पहचान नहीं रखता लेकिन आयोजन का आकर्षण खींच लाया है। अयोध्या में फिल्म निर्माण की संभावनाएं हैं मैंने वाराणसी में भी फिल्म शूट की है निश्चित ही अयोध्या में भी कुछ करने का प्लान बनाऊंगा। मैं मंदिर गया था मुझे बहुत अच्छा लगा। शहर में मुझे बहुत कुछ और तलाश करना है भविष्य के सिनेमा के लिए। –जेरेमी ब्रुनेल, फ्रांस।
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अयोध्या में बहुत सी संभावनाएं
टीवी सीरीज डिस्कवरी ऑफ इंडिया, इंतजार, फिल्म स्कैंडल के बाद कई नई वेब सीरीज से जुड़े संजीव वीरमानी ने बताया कि फिल्म फेस्टिवल के मंच पर आना काफी सुखद रहा है। 18 साल पुराने आयोजन के माध्यम से सीधे दर्शकों से जुड़ाव एक बेहतर मंच देता है। सरकारी सहयोग मिले तो आयोजन का फलक और भी बड़ा हो सकता है। साधन सरकारी हो जाए तो उपलब्धि बड़ी हो सकती है। अयोध्या अपने आप में बड़ा शहर है। यह ऐसा इवेंट होगा कि दर्शक पर्यटक सब इसे अटेंड करे। शहर के लिए चार चांद लगाने वाली बात होगी। अयोध्या में संभावनाएं और फ्लेवर दोनो हैं। बडी बात है कि यहां प्रदूषण नहीं है। लोगों में मिठास है। बाहर के लोगों को अपनाते हैं।
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काकोरी शताब्दी वर्ष पर प्रदर्शनी
फिल्म समारोह के संस्थापक निदेशक डॉ शाह आलम राणा ने बताया कि आयोजन के दौरान काकोरी शताब्दी वर्ष के आयोजन पर प्रदर्शनी भी लगाई गई है। जिसमें काकोरी के क्रांतिवीरों से जुड़ी तस्वीर और दस्तावेजों को भी प्रदर्शित किया गया था।
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परेशानियां शूटिंग में बहुत आईं। मेरे साथ हरियाणा में लूट की घटना भी हुई। भारत में कई विडियोज पर काम किया। लंदन से चीन तक की शूटिंग फिल्म में हुई। कोरोना की दुश्वारियां भी शूटिंग के दौरान आई हैं। मगर फिल्म लाइफ इन ए टैंडम बनी और रिलीज हुई। यूरोप और एशिया भर में फिल्माई गई इस फिल्म को अवार्ड मिला है तो बहुत अच्छा लग रहा है।
–देव मुखर्जी, पटियाला
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पनाह शॉर्ट फिल्म के साथ आया हूं। कचरे से मिली लड़की पर कचरा उठाने वालों के साथ बनी फिल्म है। बच्चे को अस्पताल में एडमिट करने के साथ ही घर टूटने की पृष्ठभूमि पर आधारित है। बीबी बच्चा क्रिटिकल ऑपरेशन में मरने से शुरू परेशान इंसान कचरू की कहानी है। लड़कियों को बोझ समझने वालों को सबक देती फिल्म है। अयोध्या आना बहुत सुखद है। हर साल आयोजन से अब जुड़ना होगा।
– सुहास सीताराम करनेकर, मुंबई।
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फ्रांस से अयोध्या में इस आयोजन में शामिल होने पहुंचा हूं। मूल निवास मेरा पांडिचेरी का है और वहां फ्रांस में फिल्मों से लंबे समय से जुड़ाव रहा है। मेरा सौभाग्य है कि ’बैक टू पांडिचेरी’ फिल्म लेकर आया हूं। फ्रेंच भाषा की फिल्म है जिसमें धर्म कर्म की महत्ता है और एक इंसान की खुद की तलाश है। अयोध्या जैसे महत्वपूर्ण शहर में होना बहुत सुखद है।
–रघुनाथ मानेट, पेरिस, फ्रांस।
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बेटर टुमारो फिल्म का लास वेगास में प्रीमियर हुआ था। फिल्म अंग्रेजी टाइटल के साथ तमिल भाषा में है। युवाओं पार्टी के दौरान ड्रग्स कैसे प्रभावित करता है। नियम कायदे के बाद भी युवाओं को बर्बाद कर रहा है। यह युवाओं को जागरूक करने के लिए। फैमिली सपोर्ट पर आधारित फिल्म संदेश देती है। क्रोध में लोग कंट्रोल नहीं रख पाते तो हिंसा भी फिल्म का हिस्सा है। पार्टी ड्रग्स की थीम ने फिल्म को सफल बनाया है।
अयोध्या पहली बार आना हुआ है। मेरा सौभाग्य है कि मेरी फिल्म यहां दिखाई गई है। दर्शकों का जुड़ाव बहुत सुखद है।
–शारवि एम, डायरेक्टर, तमिलनाडु।
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तीन दिवसीय आयोजन का सोमवार को समापन शानदार रहा। फिल्मों का प्रदर्शन और अवार्ड वितरण समारोह में विजेताओं को सम्मान दिया गया है। अगले साल फिर से उनके स्वागत के लिए आवाम का सिनेमा उत्सुक है। – डॉ.शाह आलम राना, संस्थापक, निदेशक।
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फिल्मों को मिला सम्मान
इंटरनेशनल
ए लाइफ इन टैंडेम ल्यूक ग्रेन फेल शॉ– बेस्ट फीचर (डॉक्युमेंट्री)
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बेकिम फेहम्यू
वाल्मीर टेरटिनी
बेस्ट डायरेक्टर (डॉक्यूमेंट्री)
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सिटी ऑफ़ मर्मेड्स
एंड्रिया फोर्टिस
बेस्ट स्टोरी (डॉक्यूमेंट्री)
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मिरारी
ओलिवियर बर्नार्ट
बेस्ट फीचर फिल्म
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री –टूर और ए पांडिचेरी
रघुनाथ मैनेट
बेस्ट फीचर फिल्म (जूरी)
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डीर
युआओ जी
बेस्ट एक्सपेरिमेंट फिल्म
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द स्पिरिचुलाइजेशन ऑफ जैफ बॉयेड
उवे श्वार्जवेल्डर
बेस्ट एक्टर
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वीड्स बाई द रिवर
हेई वांग
बेस्ट एक्ट्रेस
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मिरारी
जेरेमी ब्रुनेल
बेस्ट डायरेक्टर
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द स्पिरिचुलाइजेशन ऑफ जेफ बायड
उवे श्वार्जवेल्डर
सेकंड बेस्ट डायरेक्टर
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री–टूर ए पांडिचेरी
रघुनाथ मैनेट
बेस्ट डायरेक्टर (जूरी)
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माई सन
शिह्यून वांग
बेस्ट लोंग शॉर्ट फिल्म
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हर
क्वांग चू
बेस्ट शॉर्ट फिल्म
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द लाइम ग्रीन शर्ट
कौशिक रे
बेस्ट एलजीबीटीक्यू फिल्म
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इंडियन (फीचर फिल्म)
वोट आतीश कुमार रावत
एंड
बेटर टुमारो
शैलेंद्र शुक्ला एंड शर्वी एम
बेस्ट फीचर फिल्म
(टाई हुआ है)
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कांस्य (ब्रॉन्ज्ड)
आदित्य वत्स
बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर
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एमेच्योर
बिमल अग्रवाल
बेस्ट रीजनल फिल्म
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डिलीवरी बॉय
ज्योति रंजन मोहंती
बेस्ट एक्सपेरिमेंट फिल्म
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लमझना
करण कश्यप
बेस्ट सोशल फिल्म
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रजाकार
याता सत्य नारायण
बेस्ट स्टोरी (ज्यूरी)
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देवड़ा
एन टी रामा राव जूनियर
मोस्ट पापुलर एक्टर
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मां काली
राइमा सेन
बेस्ट एक्ट्रेस
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उत्सवम
प्रकाश राज
बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर (मेल)
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देवड़ा
अनिरुद्ध रविचंदर
बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर
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स्वैग
वेद रमन शंकरन
बेस्ट सिमेटोग्राफर
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पोयामोझी
जोस कुट्टी मदाथिल
बेस्ट डायरेक्टर
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इंडियन (शॉर्ट फिल्म और डॉक्यूमेंट्री)
विंडरमियर की रामलीला
बृजेश्वर सिंह
बेस्ट डॉक्युमेंट्री
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श्री मुंबई ना समाचार
मुंबई समाचार प्राइवेट लिमिटेड
बेस्ट डॉक्युमेंट्री (ज्यूरी)
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बाहुबली : क्रॉउन आफ ब्लड एसएस राजामौली
बेस्ट एनीमेशन शॉर्ट
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अम्मा अम्मा चेप्पे नीथी कधालू
अरुणा कुमारी एम
बेस्ट एनीमेशन शॉर्ट (ज्यूरी)
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ए नाइट , आफ्टर ऑल
अंशुल अग्रवाल
बेस्ट शॉर्ट फिल्म
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कथाकार
सिद्धार्थ सिबल
सेकंड बेस्ट शॉर्ट फिल्म
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काया– द मिशन ऑफ लाइफ
निलेश मंडलेवाला
बेस्ट सोशल फिल्म
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द रैट
अरविंद एस एस
बेस्ट एक्सपेरिमेंट फिल्म
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आलाव
प्रियकांक्षा मिश्रा
बेस्ट म्यूजिक वीडियो
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द लीजेंड ऑफ़ हनुमान
शरद देवराजन
बेस्ट वेब सीरीज
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ए नाइट, आफ्टर ऑल
रंजीत कपूर
बेस्ट एक्टर
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ए नाइट, आफ्टर ऑल रत्ना पाठक शाह
बेस्ट एक्ट्रेस
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अमर आज मरेगा
प्रकाश झा
बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर
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साइलेंट साइकिल
सुनीता रजवार
बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस
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माई नेशनल फ्लैग
श्वेता कुमार दाश
बेस्ट मोटिवेशनल फिल्म
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फगुआ
आनंद कुमार
बेस्ट सिनेमैटोग्राफी
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सोंबरे स्काईज
मनोज अजीत पाणिकर
बेस्ट डायरेक्टर
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खड्डा
रूशान यसितली जेसानी
बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर
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रसम (ब्रोथ)
प्रेरणा गोपाल
बेस्ट वूमेन डायरेक्टर