देश में पहली बुलेट ट्रेन की नींव सही मायने में न्यू इंडिया की आधारशिला रखी गई है । ये कहना है देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जसोदा बेन का । 14 सितंबर को अहमदाबाद में बुलेट ट्रेन की आधारशिला रखे जाने से कुछ घंटे पहले मेरी मुलाकात जसोदा बेन से हुई । भाषायी बाध्यता के बावजूद भाव काफी हद तक समझ में आ रहे थे । जब मैंने उनसे पीएम मोदी के बुलेट ट्रेन के सपने का जिक्र किया तो उनके चेहरे पर एक संतोष जनक खुशी छलक पड़ी और उन्होंने कहा- ‘मेरे लिए यह एक सपने के सच होने जैसा है।‘
कमोबेश यही बात साबरमती-मुंबई बुलेट ट्रेन की आधारशिला रखते वक्त पीएम मदी ने भी कही। पीएम मोदी ने सभी आशंकाओं को दरकिनार करते हुए कहा कि- ‘कोई भी देश आधे-अधूरे और बंधे हुए सपनों के साथ आगे नहीं बढ़ सकता है। न्यू इंडिया उड़ान भरने का असीमित साहस रखता है। बुलेट ट्रेन अपने साथ रफ्तार के साथ रोजगार भी लाएगी ।‘
125 करोड़ की आबादी वाले हिंदुस्तान में आज बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है, जो सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं । लिहाजा मोदी सरकार को उम्मीद है कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से देश में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होगा । इस परियोजना को 15 अगस्त, 2022 से पहले पूरा करने के लिए भारत और जापान अपनी पूरी ताकत झोंक देंगे। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में इस्तेमाल होने वाली तकनीक के कल-पुर्जे मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनेंगे। इससे अपने देश में बुलेट ट्रेन से जुड़े सहयोगी उद्योग बढ़ेंगे और लोगों को रोजगार मिलेगा। हमारे देश के इंजीनियरों को बुलेट ट्रेन में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी को समझने का मौका मिलेगा। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के जरिए देश में मेक इन इंडिया का विस्तार होगा।
साबरमती-मुंबई के बीच की 508 किलोमीटर की दूरी तक बुलेट ट्रेन के निर्माण में करीब एक लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है । बुलेट ट्रेन का 95 फीसदी रेलवे ट्रैक एलीवेटेड होगा यानी रेलवे ट्रैक ब्रिज पर बनेगा। यह जमीन से लगभग 70 फीट ऊपर होगा। बुलेट ट्रेन का 21 किलोमीटर ट्रैक अंडरग्राउंड यानी जमीन के अंदर होगा और 7 किलोमीटर ट्रैक समुद्र के अंदर से निकलेगा। बुलेट ट्रेन के लिए समुद्र में सुरंग बनाई जाएगी, जिससे कि उस क्षेत्र में मौजूद समुद्री जीवों और वनस्पतियों को कोई नुकासन नहीं होने पाए। इस रूट पर कुल 12 स्टेशन बनेंगे जो मुंबई, ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलिमोरा, भरुच, सूरत, वड़ोदरा, आणंद, अहमदाबाद, साबरमती होंगे।
मुंबई में बुलेट ट्रेन का टर्मिनल बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स में बनाया जाएगा, जबकि दूसरे छोर पर साबरमती रेलवे स्टेशन को टर्मिनल के रूप में विकसित किए जाएगा। बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स में बुलेट ट्रेन का टर्मिनल बनाने के लिए एमएमआरडीए और महाराष्ट्र सरकार साढ़े पांच हेक्टेयर जमीन देगी। यह एकमात्र ऐसा स्टेशन होगा जो अंडरग्राउंड होगा, बाकी सभी स्टेशन एलीवेटेड होंगे। बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स (मुंबई) से ठाणे से कुछ पहले तक बुलेट ट्रेन अंडरग्राउंड होगी और फिर आगे ठाणे क्रीक में यह समुद्र के अंदर से गुजरेगी। इसके बाद हाई स्पीड रेल कॉरीडोर एलीवेटेड होगा। बुलेट ट्रेन कॉरीडोर पर दोहरी लाइन बिछाई जाएगी। इसका 351 किलोमीटर गुजरात में दो किलोमीटर केंद्र शासित प्रदेश दादरा-नगर-हवेली में और 156 किलोमीटर महाराष्ट्र में होगा। हाई स्पीड रेल कॉरीडोर के ट्रैक का बहुत बड़ा हिस्सा एलीवेटेड होगा, इसलिए इसकी लागत में तकरीबन 10 हजार करोड़ अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी हो गयी।
एक अनुमान के मुताबिक, हाई स्पीड रेल कॉरीडोर का अंडरग्राउंड हिस्सा 300 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की दर से बनेगा, जबकि एलीवेटेड हिस्से के लिए 230 करोड़ रूपए प्रति किलोमीटर का खर्च आएगा । समुद्र के अंदर बुलेट ट्रेन के लिए प्रति किलोमीटर ट्रैक के निर्माण पर 500 करोड़ रूपए से ज्यादा का खर्च आएगा। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के निर्माण पर खर्च होने वाले कुल एक लाख आठ हजार करोड़ रूपए में 80 फीसदी धन यानी लगभग 88 हजार करोड़ रूपए जापान 0.1 प्रतिशत ब्याज दर पर भारत को देगा। हालांकि, इसमें पेंच यह है कि जापान यह कर्ज चरणबद्ध तरीके से जारी करेगा और उसके लिए भूमि अधिग्रहण की प्रगति को आधार माना जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट 160 साल पुरानी भारतीय रेलवे में नयी क्रांति लाएगा। बुलेट ट्रेन के निर्माण के लिए भारत को जापान से मिलने वाले ऋण को अगले 50 वर्षों में अदा करना होगा। सबसे खास बात यह है कि इस ऋण की पहली किस्त भारत को 15 साल बाद चुकानी होगी।
जानकारों का मानना है कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को तय समय में पूरा करना भारत के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि इस प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र के तीन जिलों के 44 गांव, गुजरात के आठ जिलों के 163 गांव और दादरा नगर हवेली के कुछ इलाकों में 825 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण करना बहुत मुश्किल काम है। इसके अलावा बुलेट ट्रेन को भारत के हिसाब से बनाना भी बहुत कठिन है और भविष्य में इसका विस्तार किस तरह होगा, जिससे कि इस प्रोजेक्ट को प्रॉफिटेबल बनाया जा सके, यह भी बड़ा चैलेंजिंग होगा।
भारत में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के सलाहकार संजीव सिन्हा का कहना है, यह एक प्रतिष्ठाजनक परियोजना है, लेकिन काफी उलझाने वाली है। राजनीतिक इच्छा को वास्तविक कार्यान्वयन में परिवर्तित करने के लिए आपको अपना सब कुछ लगा देना पड़ता है। हमारा लक्ष्य हर हाल में 15 अगस्त, 2022 को भारत में बुलेट ट्रेन को संचालित करने का है। संजीव सिन्हा आगे बताते हैं, “बुलेट ट्रेन साबरमती से मुंबई तक के अपने रास्ते में 70 हाई-वे और 21 नदियां पार करेगी। बुलेट ट्रेन के परिचालन की ट्रेनिंग के लिए वडोदरा में हाई स्पीड रेल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की स्थापना की गयी है। जहां जापान के एक्सपर्ट उन्हें ट्रेनिंग देंगे।”
हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन का कहना है, “मुंबई-साबरमती बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट बेकार है। एक लाख करोड़ रूपए से ज्यादा के लागत वाले इस प्रोजेक्ट से महज कुछ हजार लोगों को ही फायदा होगा। अगर हमें सात से नौ प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करनी है तो देश को अपने क्षेत्र में सही तरीके से निवेश करना होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मेक इन इंडिया पहल तब तक प्रभावी साबित नहीं होगी, जब तक परिवहन क्षेत्र में सही तरीके से निवेश नहीं किया जाएगा। भारत को सस्ती तथा पहुंच वाले परिवहन की जरूरत है।“
जानी-मानी पॉलिटिकल एनालिस्ट नीरजा चौधरी का कहना है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजनीति के बेहद चतुर खिलाड़ी हैं। उन्होंने गुजरात विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले साबरमती-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का शिलान्यास करके जहां गुजरात को साधने की कोशिश की है वहीं दूसरी तरफ देश और दुनिया को यह संदेश देने में भी कामयाब रहे हैं कि उनके लिए विकास सर्वोपरि है। हालांकि इन सभी आशंकाओं के बीच हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट का अगला रूट दिल्ली से वाराणसी वाया लखनऊ होगा। बाद में इसे पटना होते हुए कोलकाता तक विस्तारित किया जाएगा। दिल्ली से वाराणसी की 782 किलोमीटर की दूरी बुलेट ट्रेन दो घंटे 40 मिनट में पूरा करेगी। बुलेट ट्रेन के दिल्ली-वाराणसी कॉरीडोर के निर्माण पर तकरीबन 50 हजार करोड़ रूपए खर्च होंगे। यह पूरा ट्रैक एलीवेटेड होगा। बुलेट ट्रेन का तीसरा रूट दिल्ली से चंडीगढ़, लुधियाना, अमृतसर होते हुए जम्मू तक जाएगा। हैदराबाद से चेन्नई वाया बेंगलुरू भी बुलेट ट्रेन को चलाने की योजना बनायी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि मुंबई-साबरमती हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट भारत के विकास पर दूरगामी असर डालेगा।
राधे कृष्ण / पिछले दो दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय । ऑल इंडिया रेडियो, बीबीसी समेत कई बड़े मीडिया संस्थानों से जुड़े रहे । दो साल पहले आपकी पुस्तक ‘संघर्ष के प्रयोग‘ प्रकाशित हुई। साईं बाबा के पवित्र उपदेशों का संकलन भी प्रकाशित कर चुके हैं । इन दिनों देश के एक बड़ी शख्सियत पर किताब लिखने की तैयारी में जुटे हैं ।