विश्व दीपक
मंदसौर में बिना किसी उकसावे के सीआरपीएफ ने किसानों पर गोली चलाई। ये बात मध्यप्रदेश में छिपे किसान नेता शिवकुमार ने बताई। उन्होंने कहा कि फायरिंग में 6 नहीं 8 किसानों की मौत हुई है। किसानों के सीने पर गोली चलाई गई, कुछ को पीछे से निशाना बनाया गया। वो कहते हैं-“अगर भीड़ को तितर-बितर ही करना था तो उन्हें हवाई फायरिंग करनी चाहिए थी, या फिर कमर के नीचे निशाना साधना चाहिए था। ”
मध्यप्रदेश सरकार ने शुरुआत में तो पुलिस फायरिंग की ख़बरों को नकार दिया था, लेकिन 48 घंटों बाद यू टर्न लेते हुए अब ये ग़लती कबूल कर चुकी है। बतौर प्रत्यक्षदर्शी सीआरपीएफ फायरिंग को लेकर शिवकुमार के दावों से ये मामला और उलझ सकता है।अगर शिवकुमार का दावा सही निकला तो सरकार को ये बताना होगा कि शुरुआत में उसने फायरिंग पर पर्दा डालने की कोशिश क्यों की?
शिवकुमार ने कहा- “हम पिपलिया मंडी में 5 दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस बीच किसानों और कारोबारियों के बीच मामूली झड़प हुई। जब हम पुलिस में शिकायत दर्ज कराने पहुंचे तो हमारे साथ बदसलूकी की गई और प्रशासन ने सीआरपीएफ को बुला लिया। सीआरपीएफ के जवानों ने हमसे कुछ देर तक बात की और इसी दौरान अचानक फायरिंग शुरू कर दी गई। ”
क्या ये पूरा आंदोलन एक सियासी साज़िश का हिस्सा है, इस सवाल को उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया। वो कहते हैं हमारी मांगे बेहद जायज हैं- हम सरकार से प्याज की खरीद 1500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से करने को कह रहे हैं। हम आलू और टमाटर की सरकारी दरें तय करने की मांग कर रहे हैं। किसान सरकार से 55 साल की उम्र के बाद पेंशन चाहते हैं, तो इसमें परेशानी क्या है। शिवकुमार खुद के आरएसएस का कार्यकर्ता होने की बात को भी खारिज करते हैं। उनका कहना है कि आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ से जरूर उनका नाता रहा है।
(साभार-नेशनल हेराल्ड)
विश्वदीपक। आईआईएमसी के पूर्व स्टुडेंट। डॉयचे वेले, बीबीसी जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से जुड़े रहने का अनुभव। आजतक, न्यूज़ नेशन जैसे चैनलों में काम किया। जनसत्ता, अहा ज़िंदगी, द कारवां समेत कई अख़बारों, वेबसाइट, पत्रिकाओं में जनपक्षधर मुद्दों पर लेखन। कन्हैया की गिरफ़्तारी और जेएनयू को देशद्रोही ठहराए जाने के ख़िलाफ़ वैचारिक प्रतिरोध जताते हुए ज़ी न्यूज़ से इस्तीफ़ा दिया। आजकल नेशनल हेराल्ड को अपनी सेवाएं दे रहे हैं ।