अगर आपके भीतर कुछ करने का जुनून हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं । ये बात यूपी के देवरिया की रहने वाली प्रियंका रानी ने साबित कर दिखाया है । देवरिया के लार ब्लॉक के एक छोटे से गांव की रहने वाली प्रियंका रानी ने सिविल सेवा परीक्षा में चयनित होकर पूरे गांव का नाम रौशन किया। प्राइमरी स्कूल में शुरुआती शिक्षा पाने वाली प्रियंका रानी बचपन से ही पढ़ने में होनहार थीं । IIT कानपुर से बीटेक और दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रोनिक से एमटेक करने वाली प्रियंका अपने कॉलेज की टॉपर छात्रा रहीं । लेकिन इंजीनियरिंग तो उनके लिए बस पढ़ाई पूरी करने का एक जरिया मात्र रही। प्रियंका रानी के मन में आईएएस बनने का सपना कब और कैसे आया, अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रियंका रानी ने कितनी मेहनत की । सिविल सेवा की तैयारी के लिए कितने घंटे पढ़ाई जरूरी है, इन तमाम पहलुओं पर प्रियंका रानी ने अरुण से खुलकर बात की ।
बदलाव- सिविल सेवा में आपका चयन हुआ है, इसका श्रेय आप किसे देना चाहेंगी ?
प्रियंका रानी- अपने माता-पिता और बड़ी बहन रेखा यादव को । माता-पिता ने मुझे अपने सपने को पूरा करने के लिए हौसला दिया तो बड़ी बहन से मैंने संघर्ष करना सीखा ।
बदलाव- आपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है लेकिन सिविल सेवा में आपने इंजीनियरिंग को ऑप्शनल सब्जेक्ट नहीं बनाया ऐसा क्यों ?
प्रियंका रानी- देखिए इंजीनियरिंग मेरा सपना कभी नहीं रहा । मैं तो बीएससी और एमएससी करने के साथ सिविल की तैयारी करना चाहती थी । सिविल सेवा में जाना मेरा बचपन का सपना था और आज उसे मैंने हासिल भी कर लिया है ।
बदलाव- सिविल सेवा के प्रति आपका रुझान कब और कैसे हुआ ?
प्रियंका रानी- दरअसल मेरे पिता एक पीसीएस अधिकारी हैं और इलाहाबाद एजी ऑफिस में बतौर वरिष्ठ लेखाकार तैनात हैं । मैं पिताजी के बेहद करीब रहीं हूं, मेरी पढ़ाई गांव में हुई लेकिन जब कभी छुट्टियों में इलाहाबाद जाती तो पापा से मिलने IAS, IPS समेत तमाम अधिकारी आते रहते, उनमें से कई लोग पारिवारिक मित्र भी रहे, इन लोगों की बातें सुनकर और उनका व्यक्तित्व देखकर मैं बहुत प्रभावित हुईं । ये वही वक्त था जब मेरे मन में आईएएस बनने के सपने का बीज पड़ा ।
बदलाव- क्या इंजीनियरिंग की पढ़ाई से सिविल सेवा परीक्षा में आपको कोई मदद नहीं मिली ?
प्रियंका रानी- ये सच है कि मैंने सिविल सेवा परीक्षा के लिए ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में इंजीनियरिंग को नहीं चुना, लेकिन इस परीक्षा की तैयारी के लिए इंजीनियरिंग ने बहुत कुछ सिखाया । बीटेक और एममटेक की टॉपर स्कॉलर रहीं हूं । लिहाजा इंजीनयरिंग ने ही मेरी इच्छा शक्ति को और मजबूत बनाया कि मैं सिविल सेवा में भी सफल हो सकती हूं ।
बदलाव- क्या ये आपका पहला प्रयास था और चयन से आप कितना संतुष्ट हैं ।
प्रियंका रानी- जी हां मैंने पहली बार IAS बनने के लिए परीक्षा दी थी, प्री क्वालिफाई करने के बाद मेरा इरादा और पक्का हो गया कि मेरी मंजिल मेरे सामने है । लिहाजा मैंने अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन रात पढ़ाई की । हालांकि रैंकिंग थोड़ी कम जरूर है इसलिए मुझे अभी और पढ़ना है और डीएम बनना है।
बदलाव- सिविल सेवा में इंजीनियरिंग आपका सब्जेक्ट नहीं रहा फिर आपने तैयारी के लिए क्या रणनीति बनाई ।
प्रियंका रानी- देखिए सिविल सेवा के लिए सिर्फ रणनीति से काम नहीं चलता बल्कि आपके पास जुनून होना चाहिए । मैंने कभी इंजीनियरिंग और अपने सपने के बीच घालमेल नहीं किया । इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ मैं कम से कम 5 घंटे सिविल सेवा की तैयारी के लिए देती थी । मैं जानती थी कि मैंने ऑप्शनल के रूप में लोक प्रशासन को चुना है लिहाजा मुझे मेहनत ज्यादा करनी है ।
बदलाव- आप सिविल सेवा की तैयारी के लिए कितने घंटे पढ़ाई करती थीं ?
प्रियंका रानी- सिविल सेवा की तैयारी घंटे गिनकर नहीं की जा सकती । जरूरत इसबात की होती है कि आप कितनी ईमानदारी से तैयारी कर रहे हैं । मैं एमटेक की क्लास मिस नहीं करती, फिर भी सिविल सेवा के लिए कम से कम 5-6 घंटे जरूर निकालती । छुट्टी का दिन तो दिन-रात सिविल की तैयारी के लिए ही पढ़ती ।
बदलाव- कुछ लोग कहते हैं आईएएस बनना है तो कम से कम 18 घंटे पढ़ना होगा, इसके पीछे क्या लॉजिक है ?
प्रियंका रानी- ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन ये सच है कि सिविल सेवा की तैयारी के लिए आपको वक्त ज्यादा देना होता है । मेरा मानना है कि घंटे से ज्यादा जरूरी होता है क्लियरिटी । सभी के पास 24 घंटे का वक्त होता है इसलिए आपको ये ईमानदारी से तय करना होगा कि आप हर रोज कितना वक्त बर्बाद करते हैं । जिस दिन आपकी लिस्ट में बर्बाद वक्त की संख्या शून्य हो जाएगी यकीन मानिए सिविल सेवा में चयन से आपको कोई रोक नहीं सकता ।
बदलाव- क्या आपने सिविल सेवा के लिए कोई कोचिंग ज्वाइन किया था या फिर खुद से तैयारी की ।
प्रियंका रानी- दिल्ली में एमटेक करने के दौरान मैंने 2017 में मुखर्जी नगर में विजय IAS एकेडमी ज्वॉइन किया । कोचिंग से आपको एक रास्ता मिलता है और ये सीख मिलती है कि आपको क्या नहीं करना है, जब आपको ये पता हो जाता है कि क्या नहीं करना है तो तैयारी थोड़ी आसान हो जाती है ।
बदलाव- सिविल सेवा की तैयारी करने वाले छात्रों को कोई सुझाव देना चाहेंगी ?
प्रियंका रानी- सिविल सेवा की तैयारी करते वक्त मैंने तय कर लिया था कि मुझे ज्यादा किताब नहीं पढ़नी है, मसलन मैं एक विषय के लिए किसी एक लेखक की ही किताब पढ़ती थी मुझे जो माथापच्ची करनी होती थी वो रायटर के चयन को लेकर करती । अगर आप लिमिटेड बुक पढ़ते हैं तो कंफ्यूजन कम होगा । ज्यादा बुक पढ़ेंगे तो कंप्यूजन के साथ वक्त भी ज्यादा लगेगा । ज्यादा मैगजीन पढ़ने से अच्छा है कि आप अखबार से नोट्स बनाएं और अपने विचारों को सार्थक दिशा दीजिए । मेंन्स और इंटरव्यू में वहीं काम आता है ।
बदलाव- तैयारी के दौरान आप सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती थी या नहीं ?
प्रियंका रानी- सोशल मीडिया आपका वक्त बर्बाद करने के साथ आपकी सोच को प्रभावित करने लगता है, आप तय नहीं कर पाते कि जो चीजे आपके पास आ रही हैं सही हैं या गलत लिहाजा उससे दूर रहना ही बेहतर है, मैंने सोशल मीडिया पूरी तरह बंद कर रखा था हां इंटरनेट जरूर चलता, न्यूज वेबसाइट कभी कभार देखती और अगर कुछ सर्च करना होता तो उसे करती, सफल अभ्यर्थियों के इंटरव्यू सुनती । न्यूज चैनल देखने से अच्छा है राज्यसभा टीवी देखिए वहां आपको एक सार्थक चीजें मिलती हैं ।
बदलाव- आपकी हॉबीज क्या हैं ?
प्रियंका रानी- पढ़ाई और सिर्फ पढ़ाई मेरी यही हॉबी है इसके सिवाय कुछ नहीं । जितना भी वक्त मिलता है मैं पढ़ती हूं, मेरा सपना डीएम बनना है लिजाहा मुझे अपनी तैयारी आगे भी जारी रखनी है, जिसमें मेरी पढ़ाई की आदत जरूर काम आएगी । मेरी इसी आदत की वजह से बीच में एक वक्त ऐसा भी आ गया कि मुझे नींद ही नहीं आती थी फिर मुझे डॉक्टर की सलाह लेनी पड़ी ।
बदलाव- जब ट्रेनिंग के बाद आपकी पोस्टिंग होगी तो सबसे पहले किस क्षेत्र के लिए काम करना चाहेंगी ?
प्रियंका रानी- मेरा बचपन गांव में बीता है, मैं गांव के दर्द को समझती हूं, गांववालों की मुश्किलों को जानती हूं, मुझे गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर काम करना है । सबसे पहले मेरी कोशिश रहेगी कि मुझतक हर किसी की पहुंच रहे, जिस जिले में मेरी तैनात हो वहां के लोगों को छोटी छोटी बात के लिए मेरे पास आने की जरूरत ना पड़े बल्कि मैं खुद उन तक पहुंच सकूं ।
बदलाव- लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व आ चुका है, ऐसे में मतदाताओं से कोई अपील ?
प्रियंका रानी- मैं यही कहना चाहूंगी कि जाति-धर्म के भेदभाव से ऊपर उठकर वोट करें । जो आपके लिए काम करता हो, समाज के बारे में चिंता करता हो उसको चुनें, जिस दिन हम व्यक्ति पर फोकस करने लगेंगे राजनीतिक दल अच्छे लोगों को टिकट देने को मजबूर हो जाएंगे, इसलिए राजनीति को साफ-सुथरा बनाना है तो हमें अपनी सोच को साफ और बड़ा करना होगा ।
बदलाव- एक बार फिर सिविल सेवा में चयन के लिए आपको बधाई ।
प्रियंका रानी- शुक्रिया
अरुण प्रकाश। उत्तरप्रदेश के जौनपुर के निवासी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। इन दिनों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय।