एपी यादव
कभी-कभी आपकी एक छोटी सी पहल कितनी बड़ी हो जाती है, इसका अंदाजा भी आपको नहीं चलता । हमने सोचा भी नहीं था अक्षय, सुबोध और रंजेश भाई के साथ मिलकर मीडिया संस्थान के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जो व्हाट्सअप ग्रुप की शुरुआत की गई थी आज वो संकट की इस घड़ी में इंसानियत के लिए एक मिसाल बन जाएगा ।
बात एक साल पहले की है । कोरोना का शुरुआती दौर था । हम सभी साथी एक ही न्यूज चैनल में काम कर रहे थे। मीडिया में काम करते हुए हम जनता के लिए आवाज उठा रहे थे लेकिन मीडिया संस्थानों में कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं । लिहाजा हम सभी साथियों ने एक व्हाट्सअप ग्रुप बनाया और नाम रखा गया ‘बहुत हुआ सम्मान’ । जिसमें ऑफिस के तमाम साथियों को जोड़ा गया लेकिन बीतते वक्त के साथ कई साथियों ने इस ग्रुप से नाता तोड़ लिया और हमारा ये ग्रुप 5-7 मित्रों तक सीमित रह गया। इस दौरान हम और अक्षय भाई संस्थान भी छोड़कर दूसरी जगह चले गए । लेकिन हमारे ग्रुप में बचे हुए साथियों का साथ बना रहा ।
इस बीच कोरोना की दूसरी लहर बहुत तेजी से अपना कहर बरपाने लगी । हर दिन हर तरफ से निराशा और दुख देने वाली ख़बरें हम सभी के धैर्य को तोड़ने लगीं । हर कोई बेबस और लाचार नजर आने लगा । किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था आखिर क्या क्या जाए । कैसे लोगों की मदद की जाए । हालात ये बन गए कि किसी को भी अस्पताल में एक बेड दिलवाना आसमान से तारे तोड़कर लाने जैसा हो गया । जिन लोगों से उम्मीदें थी कि एक फोन पर मदद जरूर मिल जाएगी वो भी मदद करने में खुद को लाचार समझने लगे । संकट बड़ा है ऐसे में लोगों का मदद पहुंचा पाने में असर्थ होना भी लाजमी है ।
खैर, इस बीच अचानक अपने पुराने व्हाट्सअप ग्रुप पर अक्षय भाई का मैसेज आया । उसमें लिखा था- साथियों संकट बहुत बड़ा है लिहाजा हमारी जिम्मेदारी भी बहुत बड़ी हो गई तो क्यों ना हम इस ग्रुप को भी बड़ा बनाएं और कुछ ऐसे लोगों को जोड़ें जो आपदा की इस घड़ी में दूसरों की मदद कर सकें । आनंद, रवि समेत ग्रुप के सभी साथियों ने इसके लिए सहमति दी और जुट गए मानवता की सेवा में । इस बीच ग्रुप का नाम बदलकर ‘हम जीतेंगे’ रख दिया गया और हर दिन ग्रुप में कोई ना कोई नया देवदूत जुड़ने लगा । सिर्फ इस ग्रुप में लोग जुड़ ही नहीं रहे बल्कि लगातार मदद पहुंचा रहे हैं । अक्षय, सुबोध, रंजेश सुबह से लेकर देर रात तक ग्रुप में सभी साथियों के साथ जुड़े रहे थे हैं जहां से भी मदद की आवाज आती है ये लोग जुट जाते हैं इंतजाम में । किसी को ऑक्सीजन बेड की जरूरत है तो किसी को आईसीयू और किसी को तो वेंटिलेटर की । दिनभर में हमारे इस ग्रुप में कम से कम 25-30 लोगों के मैसेज आते होंगे। हम जीतेंगे की टीम हर मुमकिन कोशिश करती है कि हर मैसेज का जवाब दिया जाए और उसे मदद पहुंचाई जाए,जब तक मदद नहीं मिल जाती तब तक टीम के साथी कोशिश करते रहते हैं । यकीन मानिये हर दिन कम से कम 15-20 लोगों को किसी ना किसी रूप में मदद पहुंच ही जाती है ।
मदद की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि सबका जिक्र कर पाना आसान नहीं । दो दिन पहले एक प्रेग्नेंट लेडी को वेंटिलेटर की जरूरत थी। दो जिंदगियों का सवाल था । ऑक्सीजन लेबल 70 से फी नीचे जा रहा था, ऐसे में रंजेश भाई के पास जैसे ही मैसेज आया उन्होंने ग्रुप में शेयर किया और सभी साथी जुट गए इंतजाम कराने में । इस ग्रुप की खास बात ये है कि जहां से भी मदद की थोड़ी भी उम्मीद रहती है उस दरवाजे को खटखटाया जाता है । उस प्रेग्नेंट लेडी के केस में भी साथियों ने यही किया और देर रात होते-होते मदद पहुंच गई और उसे दीनदयाल अस्पताल में भर्ती करा दिया गया ।
ऐसे ही हमारे ये साभी हर दिन दिल्ली से लेकर चंडीगढ़ तक और यूपी से लेकर बिहार तक लगातार लोगों की मदद करने में जुटे हैं । हमारे इस ग्रुप में आज देवदूतों की एक लंबी फेहरिस्त हो गई है । जिसमें पत्रकार है, प्रोफेसर है, बिजनेस मैन है, डॉक्टर है, पुलिस सेवा से जुड़े लोग है । यानी हर क्षेत्र के लोग इस ग्रुप से जुड़ते जा रहे हैं और जिससे जितना बन पा रहा है लोगों की मदद कर रहा है ।
गोयल साहब, मनोज सिंघल,सुनीलजी, अमन भाई साहब, पंकज,अनूप, हरीश जी, पंकज पांडेय, मनोज कुमार जैसे लोग दिल्ली एनसीआर में लोगों की लगातार मदद कर रहे हैं तो वहीं बिहार में पुष्यमित्र और अखिलेश कुमार जैसे लोग दिन रात लोगों की सहायता में जुटे हुए हैं ।
खास बात ये है कि ये लोग अपना काम बिना किसी शोर-शराबे के कर रहे हैं यही नहीं जिनकी मदद करते हैं उसके बारे में सोशल मीडिया पर बिल्कुल चर्चा नहीं करते । साथियों माफ करना आपसे बिना पूछे कुछ शब्द आप लोगों के बारे में लिख दिया हूं । उम्मीद है ये ग्रुप मानवता के लिए एक मिसाल बनेगा ।