संगम पांडेय अक्षरा थिएटर में लाइट्स वगैरह की कई असुविधाएँ भले हों, पर इंटीमेट स्पेस में प्रस्तुति का घनत्व अपने
Category: मेरा गांव, मेरा देश
क्या जंगलों में आदिवासियों का होना अच्छे पर्यावरण का प्रतीक नहीं?
शिरीष खरे शिरीष खरे की बतौर पत्रकार यात्रा की ये पांचवीं किस्त है। मेलघाट का अनदेखा सच पाठकों तक शिरीष
फूलों की खेती से बदलेगी किसान की किस्मत
बदलाव प्रतिनिधि, सेहमलपुर फूलों की खेती के फायदों से आम किसानों को अवगत करवाने के लिए टीम बदलाव ने जौनपुर
फाइव स्टार सुविधाओं वाला शुरुआती रंगकर्म
अनिल तिवारी 1968 में 15 बर्ष की उम्र में ‘टी पार्टी’ नाटक में अभिनय करने के पश्चात मील एरिया में
सरकार को एहसास नहीं-भूख क्या होती है?
शिरीष खरे शिरीष खरे की बतौर पत्रकार यात्रा की ये चौथी किस्त है। मेलघाट में उन्होंने महसूस किया कि भूख
सेहमलपुर गांव में 17 फरवरी को फूलों की खेती पर कार्यशाला
टीम बदलाव प्यार का सप्ताह है, दुनिया वैलेंटाइन डे मना रही है, तो क्यों न अपने गांव की गलियों की
समाजवाद के आदि नायक शिव के प्रेम का साझा उत्सव
ब्रह्मानन्द ठाकुर महा शिवरात्रि यानी आदिम समाजवादी परिवार के मुखिया शिव के विवाह का दिन। हां, आदिम समाजवादी व्यवस्था मतलब
मेलघाट में भूख से मरते बच्चे और 90 के दशक का सन्नाटा
शिरीष खरे शिरीष खरे की बतौर पत्रकार यात्रा की ये तीसरी किस्त है। मेलघाट से लौटते हुए ट्रेन में उनकी
पूर्णिया में ‘गोकुल का छोरा, बरसाने की नार’
डॉ शंभु लाल वर्मा ‘कुशाग्र’ “एक डाल दो पाच्छी है बैठा कौन गुरु कौन चेला/ गुरु की करनी गुरु भरेगा
माय वेलेंटाइन, माय विलेज…. बदलाव की नई मुहिम
टीम बदलाव गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर-6 में लंबे अरसे बाद 11 फरवरी की सुबह 10 बजे बदलाव की मीटिंग हुई।