सत्येंद्र कुमार यादव भाई ने बिन पानी सब सून किया। अब बहन पानी में सब कुछ डूबो सकती है। इस
Category: मेरा गांव, मेरा देश
“कोई मरने से मर नहीं जाता, देख लो वो यहीं कहीं होगा“
नवीन कुमार IIMC पास करने के कुछ दिनों की बात है। पत्रकारिता का नया-नया रंगरूट था। नौकरी नहीं करने का
गालिब छूटा जीवन का हिसाब…लेकिन ‘कालिया’ सही सलामत है!
युवा लेखकों के प्रेरणास्रोत, गालिब छूटी शराब, सृजन के सहयात्री जैसे संस्मरण, खुदा सही सलामत है, 17 रानाडे रोड और एबीसीडी
नये साल की ‘नव प्रभा’
निशांत जैन नवल विभा हो, नवल प्रभा हो नवल-नवल कांति आभा हो । नव प्रभात हो, नव विहान हो नव
मालदा से पूर्णिया तक ‘आग’ पर कोई न सेंके अपनी ‘रोटी’
कहां छिप गए वे सेक्युलर, मानवतावादी… ! पद्मपति शर्मा (फेसबुक वॉल पर) मालदा के बाद पूर्णिया ! यह हो क्या
छात्रों की कामयाबी ही गुरु का सबसे बड़ा सम्मान
पुरुषोत्तम असनोड़ा रविवार हो या कोई छुट्टी का दिन, गुरुजी रोज विद्यालय जाएंगे, पढायेंगे और अच्छे नम्बरों के टिप्स अपने
कहा था जिंदगी बदल देंगे, पर गांव की ज़मीन लूट ली
शिरीष खरे वन को राजस्व ग्राम बनाते समय विकास का झांसा देकर जिंदगी बदल देने की बात की थी, लेकिन
नये साल की मनुहार
एक वर्ष ने और विदा ली एक वर्ष आया फिर द्वार गए वर्ष को अंक लगाकर नये वर्ष की
कल सवेरा मुस्कुराएगा
पीके ख्याल नव वर्ष का सूरज, बीते बरस का अंधेरा मिटाएगा, मत हो उदास सुबह आकर सवेरा मुस्कुराएगा । ।
”सुजाता” के बहाने
दिवाकर मुक्तिबोध 6 दिसंबर 2015, रविवार के दिन रायपुर टॉकीज का ”सरोकार का सिनेमा” देखने मन ललचा गया। आमतौर अब